राणसी स्थित ज्ञानवापी मामले में एक बड़ी खबर सामने आ रही है. द हिंदू की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर कर ज्ञानवापी मस्जिद में ‘वज़ुखाना’ क्षेत्र को डी-सील (सील खोलने) करने की मांग की गई. ‘वज़ुखाना’ क्षेत्र को साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘शिवलिंग’ पाए जाने के बाद सील कर दिया गया था. अपनी याचिका में हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को ‘शिवलिंग’ को नुकसान पहुंचाए बिना वजुखाना में एक और व्यापक सर्वेक्षण करने की अनुमति देने का अनुरोध किया.
इससे पहले शनिवार को विहिप ने दावा किया था कि एएसआई सर्वेक्षण रिपोर्ट ने फिर से पुष्टि की है कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण उस स्थान पर हुआ है जहां कभी एक भव्य मंदिर था. उसे ध्वस्त करने के बाद मस्जिद का निर्माण किया गया. मांग की थी कि संरचना को एक हिंदू मंदिर घोषित किया जाए और सौंप दिया जाए. इसमें यह भी मांग की गई थी कि हिंदुओं को विवादित स्थल पर तथाकथित वजुखाना क्षेत्र में पाए गए ‘शिवलिंग’ की सेवा पूजा करने की अनुमति दी जाए.
वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने एक बयान में कहा था कि एएसआई की ओर से एकत्र किए गए साक्ष्य और निष्कर्ष साबित करते हैं कि इस पूजा स्थल का धार्मिक चरित्र 15 अगस्त 1947 को अस्तित्व में था और वर्तमान में यह एक हिंदू मंदिर है. उन्होंने मांग की है कि इस प्रकार पूजा स्थल अधिनियम, 1991 की धारा 4 के अनुसार भी संरचना को हिंदू मंदिर घोषित किया जाना चाहिए.
विहिप ने मस्जिद का प्रबंधन करने वाली इंतेजामिया समिति से भी आह्वान किया कि वह ज्ञानवापी मस्जिद को सम्मानपूर्वक किसी अन्य उपयुक्त स्थान पर शिफ्ट करें और काशी विश्वनाथ के मूल स्थल को हिंदू समाज को सौंपने पर सहमत हों. उधर, एएसआई की सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर पत्थर की 55 मूर्तियां पाई गई हैं. इसमें 15 शिवलिंग, तीन भगवान विष्णु की मूर्तियां, तीन भगवान गणेश, दो नंदी, दो कृष्ण और पांच हनुमान की मूर्तियां शामिल हैं.