अमृतसर: पंजाब में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से तीन बार कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों की कर्जमाफी की है. लेकिन वो किसानों और खेत मजदूरों की आत्महत्या की घटनाएं रोकने में नाकाम रहे हैं. 7 जनवरी 2018 से इस साल 23 जनवरी तक सूबे में 430 किसान आत्महत्या कर चुके हैं. ये दावा भारतीय किसान यूनियन के उग्रहान गुट ने किया है.
तीसरी बार कर्जमाफी की गई
पहले दौर में पंजाब सरकार ने 3.17 लाख किसानों का 1814.31 करोड़ का कर्ज माफ किया था. इसके बाद दूसरे दौर में 1.03 लाख किसानों का 1689.49 करोड़ कर्ज माफ किया गया था. 24 जनवरी से 5 एकड़ जमीन के मालिक 1.42 लाख किसानों का 1009 करोड़ के कर्जमाफी का ऐलान अमरिंदर सिंह सरकार ने किया है.
इन इलाकों में ज्यादा आत्महत्याएं
भारतीय किसान यूनियन के उग्रहान गुट के मुताबिक आत्महत्या करने वाले 98 फीसदी किसान मालवा इलाके के हैं. इस इलाके में मानसा, संगरूर, बठिंडा और बरनाला जिले आते हैं. खुदकुशी करने वाले किसानों पर 1 से 20 लाख तक का कर्ज था.
2017 से 2018 के बीच इतनी खुदकुशी
पंजाब सरकार के आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2017 से दिसंबर 2018 तक 900 किसानों और खेत मजदूरों ने खुदकुशी की थी. जबकि, जनवरी 2018 से दिसंबर 2018 तक ही 430 किसानों ने अपनी जान दी थी.
ये भी पढ़ें- नेल्सन मंडेला के बाद रामफोसा बने गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने वाले दूसरे द. अफ्रीका राष्ट्रपति
किसानों के लिए कर्जमाफी फायदेमंद नहीं
तमाम कृषि विशेषज्ञ कह चुके हैं कि कर्जमाफी से किसान का भले ही वक्ती तौर पर भला हो जाए. लेकिन लंबे समय के लिए ये फायदेमंद नहीं होता है. किसानों का भला करने के लिए स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की बात विशेषज्ञ कहते रहते हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी कई बार कहा है कि कर्जमाफी ही किसान के लिए अंतिम उपाय नहीं हो सकता.
यहां ऐसी भी हुई है कर्जमाफी