जानिए कौन हैं मोहम्मद अय्यूब, जिन्होंने थामा शिवपाल सिंह यादव का हाथ

लखनऊ: जब से लोकसभा 2019 चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ है उसके बाद से ही पार्टियों के बीच अदला-बदली का खेल जारी है. कई असंतुष्ट नेता अपनी पार्टी का साथ छोड़कर दूसरी पार्टी का दामन ​थाम रहे हैं. कुछ ऐसा ही हुआ है समाजवादी पार्टी के साथ. पार्टी के साथ गठबंधन में मौजूद पीस पार्टी ने अब शिवपाल सिंह यादव का हाथ थाम लिया है. कयास लगाए जा रहे हैं कि पीस पार्टी और शिवपाल की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठबंधन कुछ हद तक मुस्लिम वोटों पर असर डाल सकता है.

बता दें, इससे पहले साल 2018 के लोकसभा उपचुनाव में पीस पार्टी ने सपा, बसपा और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन किया था. वहीं 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों में डॉ. अय्यूब की पीस पार्टी ने निषाद पार्टी और अपना दल (कृष्णा गुट) के साथ चुनाव लड़ा था. लेकिन ऐसा करके भी वो न तो जीत का आकड़ा खड़ा कर सके और न ही इसका स्वाद चख सके.

हालांकि पीस पार्टी ने 2018 में गोरखपुर और फूलपुर के लोकसभा उपचुनावों के दौरान सपा का पूरा साथ दिया था. गोरखनाथ मंदिर से जुड़े मुस्लिमबहुल इलाकों में पीस पार्टी ने गठबंधन के प्रत्याशी प्रवीण निषाद के समर्थन में प्रचार किया था, जिसका परिणाम एक भारी जीत के रूप में सामने आया था.

ये बात उसी समय की है जब फूलपुर में बाहुबली अतीक अहमद भली स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे थे. उस समय ये माना जा रहा था कि मुस्लिम वोटों के बंटवारे का फायदा एक बार फिर से बीजेपी के पलड़े में जाएगा. लेकिन ऐसा हो न सका. क्योंकि सपा और पीस पार्टी ने मुस्लिम वोटों को काफी हद तक एक किया और फूलपुर लोकसभा पर अपनी जीत का झंडा गाढ दिया.

लेकिन इस बार बाजी पलट गई. पीस पार्टी चली गई शिवपाल के हिस्से में. हालांकि इनके गठबंधन करने की मांग को लगभग हरेक बड़ी पार्टी ठुकरा चुकी है. इसकी वजह से शिवपाल कुछ बड़ा काम तो न कर सके लेकिन कई सीटों पर मुस्लिम वोटों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश वो कर ही सकते हैं.

अब जानते हैं मोहम्मद अय्यूब के बारे में थोड़ा विस्तार से-

मोहम्मद अय्यूब गोरखपुर से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से सर्जरी की पढ़ाई पूरी की और डॉक्टरी का पेशा शुरु किया. कुछ सालों बाद मोहम्मद अय्यूब का झुकाव पिछड़ों की राजनीति की ओर होने लगा.

बहुत दिनों तक पिछड़ों के बीच अपनी पैठ बनाने के बाद पीस पार्टी को कामयाबी का स्वाद 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में चखने को मिला. इस चुनाव में पीस पार्टी ने तीन विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की. इसमें कांठ विधानसभा से अनीसुर्रहमान, डुमरियागंज से कमाल यूसुफ मालिक और खलीलाबाद से खुद मोहम्मद अय्यूब विधायक चुने गए.

साल 2017, जब प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो रहे थे तभी मोहम्मद अय्यूब पर बलात्कार का आरोप लगा था. मोहम्मद अय्यूब पर आरोप यह थे कि उन्होंने एक लड़की का कई दिनों तक यौन शोषण किया और उसे ऐसी दवाओं का इंजेक्शन लगाया, जिनके रिएक्शन से पीड़िता की मौत हो गयी. डॉक्टरों ने अपनी रिपोर्ट में ज़िक्र किया कि पीड़िता की मौत किडनी और लीवर फेल होने की वजह से हुई. मामले ने उस वक्त तूल पकड़ लिया जब हालत बिगड़ने पर पीड़िता को इलाज के लिए अय्यूब के विधानसभा क्षेत्र खलीलाबाद से लखनऊ लाया गया.

मोहम्मद अय्यूब ने महागठबंधन से अलग होने के पहले कहा कि वो जमात-ए-उलेमा हिंद के महागठबंधन और कांग्रेस की ओर झुकाव को सही नहीं मानते हैं. यही वजह है कि वो महागठबंधन से समर्थन वापस लेने के बारे में सोच रहे हैं. लेकिन कहा ये भी जा रहा है कि उन्हें महागठबंधन ने लोकसभा चुनाव के लिए टिकट देने से इनकार कर दिया जिसके चलते पीस पार्टी ने अलग होने का फैसला लिया.

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles