नई दिल्ली। अंतरिक्ष में एंटी सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण के विवाद पर अपना पक्ष रखते हुए डीआरडीओ अध्यक्ष जी. सतीश ने कहा ऐसे परीक्षण को खुफिया नहीं रखा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि हमारे परीक्षण को दुनिया के बहुत से देशों के सेटेलाइटस ने देखा है।
DRDO Chief GS Reddy on #MissionShakti: The country has shown ground-based direct hit deterrence capability, it works for the defence also. https://t.co/MCODTtglY1
— ANI (@ANI) April 6, 2019
हमने सभी आवश्यक परमीशन ले ली थीं। उन्होंने कहा, ‘अंतरिक्ष अब सामरिक महत्व हासिल कर चुका है। भारत ने दिखा दिया कि वह अंतरिक्ष में भी निशाने को भेद सकता है।’
कलाम का सपना था
‘मिशन शक्ति अभियान के तहत ओडिशा में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से परीक्षण किया गया था। रेड्डी ने कहा कि इस परीक्षण से बाहरी अंतरिक्ष में अपने संसाधनों की रक्षा करने की भारत की क्षमता का पता चलता है।
सेना, नौसेना और वायुसेना के लिए संयुक्त संचालन सिद्धांत अप्रैल 2017 में जारी हुआ था, जिसमें बाहरी अंतरिक्ष से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए ‘रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी’ का गठन किया जाना प्रस्तावित था।
उन्होंने बताया कि उपग्रह भेदी मिसाइल परीक्षण महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी विकसित करने में देश की बढ़ती क्षमताओं को दर्शाता है और यह कवच के तौर पर काम करेगा। रेड्डी ने कहा कि परियोजना के लिए मंजूरी करीब दो वर्ष पहले दी गई थी।
अंतरिक्ष में भारत द्वारा उपग्रह को मार गिराए जाने के बाद उन्होंने कहा, ‘भारत के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। इससे देश अंतरिक्ष शक्तियों के चुनिंदा समूह में शामिल हो गया है।’
हम तकनीक विकसित करने में सक्षम हैं
जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि परीक्षण के लिए उपयोग की गई प्रौद्योगिकी पूरी तरह स्वदेश में विकसित है। उपग्रह को मिसाइल से मार गिराया जाना दर्शाता है कि हम ऐसी तकनीक विकसित करने में सक्षम हैं जो सटीक दक्षता हासिल कर सकता है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख ने कहा, ‘उपग्रह भेदी मिसाइल परीक्षण से हमारी क्षमता का पता चलता है और यह कवच के तौर पर काम करेगा।’