दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव को लेकर प्रचार थम गया है और वोटिंग में केवल एक दिन का समय बचा है. इस दरमियान अलग-अलग राजनैतिक पार्टियां अपनी पूरी ज़ोर अज़माइश कर रही है. यदि मुख्य टक्कर की बात की जाये तो इस बार मुकाबला शिरोमनी अकाली दल दिल्ली के परमजीत सरना भाईयों और शिरोमनी अकाली दल बादल के मनजिंदर सिंह सिरसा के बीच है. चुनाव प्रचार के दौरान दोनों ही अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं.
शिरोमनी अकाली दल बादल के उम्मीदवार मनजिंदर सिंह सिरसा का कहना है कि पिछले 2 बार के कार्यकाल के दौरान जो काम मैंने किये हैं इस कारण वह 36 से ज़्यादा सीटों पर जीत हासिल करेंगे और उनकी पार्टी की जीत होगी.
वहीं दूसरी ओर दिल्ली सिक्ख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना आरोप लगाते हुए कहते हैं कि मनजिंदर सिंह सिरसा की पार्टी को कोर्ट ने भी गोलक चोर कह कर संबोधित किया है. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को संगत कभी भी माफ नहीं करेगी.
परमजीत सरना ने कहा कि यही कारण है कि उनकी पार्टी के लोग जहां भी जा रहे हैं उन्हें काले झंडे दिखा कर विरोध किया जा रहा है. परमजीत सरना ने दावा किया है कि अकाली दल दिल्ली में पूरी बहुमत के साथ जीत हासिल करेगा.
बता दें कि चुनाव प्रचार ख़त्म हो गया है और 22 अगस्त को वोटिंग होगी. इस बार इन दिली सिख गुरदवारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव में 6 पार्टियां अपने अपने उम्मीदवारों के साथ चुनावी मैदान में उतरी है.
ऐतिहासिक पक्ष की अगर बात की जाए तो दिल्ली सिक्ख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी एक खुदमुखतियार संस्था है और इसके लिए पहली बार मतदान साल 1974 में हुआ था. दिल्ली सरकार के डायरैकटोरेट आफ गुरुद्वारा इलैकशनज़ की स्थापना 1974 में हुई थी.
इसके लिए देश की संसद में एक्ट पास किया गया था जिसे दिल्ली सिक्ख गुरुद्वारा एक्ट 1971 के तौर पर जाना जाता है. यह एक्ट दिल्ली के गुरूद्वारा और उन के साथ जुड़ी जायदादों की देखभाल और प्रबंध के नियम और दिशा निर्देश को तय करता है.