नहीं रहे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी

नई दिल्ली : भारत के तीन बार प्रधानमंत्री रहे और देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को निधन हो गया. लंबे समय से बीमार चल रहे 93 वर्षीय वाजपेयी जून महीने से ही नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती थे.

एम्स ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने गुरुवार की शाम पाँच बजकर पाँच मिनट पर अंतिम सांस ली. उन्हें इसी वर्ष जून में किडनी में संक्रमण और कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से एम्स में भर्ती कराया गया था.

केंद्र सरकार ने उनके निधन पर 7 दिन के शोक की घोषणा की है.

अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताते हुए ट्वीट किया

 

“मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है। हम सभी के श्रद्धेय अटल जी हमारे बीच नहीं रहे। अपने जीवन का प्रत्येक पल उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। उनका जाना, एक युग का अंत है।”

वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस दुखद घटना पर अपना खेद जताया.

 

पूर्व प्रधानमंत्री पिछले कई सालों से बीमार चल रहे थे. 25 दिसंबर 1924 को पैदा हुए वाजपेयी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राजनीति में प्रवेश किया था और राजनीतिक संघर्षों के बाद तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने.

किडनी में संक्रमण, छाती में संकुचन और पेशाब संबंधी परेशानी की वजह से वाजपेयी को गत 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था. एम्स में भर्ती वाजपेयी की तबीयत गत शनिवार को ज्यादा बिगड़ गई. इसके बाद उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया. पूर्व प्रधानमंत्री की तबीयत बिगड़ने की खबर मिलते ही उनका हालचाल जानने के लिए नेताओं का तांता लग गया.

भाजपा के वरिष्ठ नेता एलके आडवाणी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, वेंकैया नायडू ने अस्पताल जाकर उनके अंतिम दर्शन किए. विपक्ष के कई नेता भी वाजपेयी का देखने के लिए अस्पताल पहुंचे. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, गृहमंत्री राजनाथ सिंह समेत बीजेपी के सभी बड़े नेताओं ने एम्स पहुंच उनका हाल जाना था. भारतीय जनता पार्टी ने देश में अपने सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है.

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