नई दिल्लीः आज से गणेश चतुर्थी उत्सव का आगाज हो गया है. गणेश चतुर्थी के दिन ही बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था. इस पर्व को देश भर में खास तौर पर महाराष्ट्र में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है. 10 दिनों तक चलने वाला यह उत्सव गणेश चतुर्थी से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है. आज के दिन मंदिरों और घरों में गजानन पधारेंगे. भक्त विधि विधान से भगवान गणेश की प्रतिमा की स्थापना करेंगे. उत्सव की तैयारी के साथ कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तो भक्त गणेश चतुर्थी के दिन सच्चे मन से विध पूर्वक भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करते हैं. उसके घर परिवार में हमेशा सुख-शान्ति का वास रहता है और गणपति उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
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गणेश चतुर्थी का महत्व
हिंदू धर्म में भगवान श्री गणेश का विशेष स्थान है. किसी प्रकार की पूजा, हवन या मांगलिक कार्यक्रम से पहले गणपति की पूजा की जाती है. इसके साथ ही हिंदू धर्म में गणेश वंदना के साथ ही किसी नए काम की शुरुआत की जाती है. इसी वजह से भगवान गणेश का जन्मदिवस पूरे विधि-विधान और उत्साह के साथ देश भर में गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में इस पर्व को सिर्फ चतुर्थी के दिन ही नहीं बल्कि पूरे 10 दिन यानी कि अनंत चतुर्दशी तक मनाया जाता है.
यह पर्व धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ राष्ट्रीय एकता का भी प्रतीक है. छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने शासन काल में राष्ट्रीय संस्कृति और एकता को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक रूप से गणेश पूजन शुरू किया था.
स्थापना का शुभ मुहूर्त
गणपति की स्थापना 13 सितंबर की सुबह 11 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 35 मिनट तक की जाएगी इसकी अवधि 2 घंटे 26 मिनट है.
इसके साथ ही 13 सितंबर को चंद्रमा नहीं देखने का समय सुबह 09 बजकर 33 मिनट से रात 09 बजकर 23 मिनट तक है. अवधि: 11 घंटे 50 मिनट.
पूजा विधि
प्रातःकाल उठकर पूरे घर को गंगा जल से शुद्ध करके लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछा कर गणेश भगवान की मूर्ति स्थापित करें. जिसके बाद श्री गणेशाय नम: मंत्र बोलकर दीपक और धूप जलाएं. इसके के बाद श्री गणेशाय नम: मम कार्यसिद्धि कुरु कुरु फट स्वाहा मंत्र का उच्चारण कर भगवान को फूल, फल, रोली, मौली, चंदन, पंचामृत, 11 दूर्वा घास चढ़ाएं और गणपति को लड्डू का भोग लगाएं. इस दिन आपको पूरे दिन व्रत करना है और शाम को गणेश भगवान की आरती कर उन्हें मोदक का भोग लगाएं. जिसके बाद अगले दिन जो 11 दूर्वा चढ़ाईं थीं उसे पीले कपड़े में बांधकर अपने सिरहाने रख दें.