धार्मिक ग्रंथों के अनुसार रिद्धि सिद्धि के देवता गणपति के पूजन में प्रसाद के रूप में मोदक का भोग जरूर लगाना चाहिए। क्योंकि गणपति को मोदक पसंद है और इसके भोग से गणपति शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। इसके पीछे की कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव और माता पार्वती एकांतवास में थे और उन्होंने गणपति को यहां किसी को न आने देने का निर्देश दे दिया था।
इसी बीच भगवान विष्णु के अवतार परशुराम वहां आ गए, जो भगवान शिव के शिष्य थे और महादेव का दर्शन करना चाहते थे। लेकिन गणेशजी ने उन्हें रोक दिया और कैलाश पर आने से रोके जाने से नाराज परशुरामजी गणपति से युद्ध के लिए उद्धत हो गए। गणेशजी और परशुराम के बीच युद्ध चल रहा था, उस दौरान परशुराम ने अपना परशु चला दिया, जो उन्हें महादेव ने दिया था। पिता के अस्त्र के सम्मान के लिए उन्होंने उसे स्वीकार कर लिया और परशु के दांत से टकराने से गणपति का एक दांत टूट गया। बाद में जब दोनों को गलती का अहसास हुआ तो युद्ध रूका। लेकिन एक दांत टूटने से गणेशजी को खाने में काफी परेशानी होने लगी।
बाद उनके कष्ट को देखते हुए माता पार्वती ने पकवान बनाए जिससे उन्हें खाने में आसानी हो। उन्हीं पकवानों में से एक मोदक था, मोदक खाने में काफी मुलायम था। मान्यता है कि श्री गणेश को मोदक बहुत पसंद आया था और तभी से वो उनका पसंदीदा मिष्ठान बन गया था। इसलिए भक्त गणेशजी को प्रसन्न करने के लिए मोदक का भोग लगाया जाने लगा। हालांकि मोदक के विषय में कुछ पौराणिक धर्मशास्त्रों में भी जिक्र किया गया है। मोदक का अर्थ होता है, खुशी या आनंद। गणेशजी को खुशहाली और शुभ कार्यों का देव माना गया है इसलिए भी उन्हें मोदक चढ़ाया जाता है।