प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वालों को मोदी सरकार जल्द ही खुशखबरी सुनाने वाली है. सरकार ग्रेच्युटी के लिए जरूरी समय सीमा को खत्म करने पर विचार कर रही है. ग्रेच्युटी के नियमों में बदलाव को लेकर मोदी सरकार पर लगातार दवाब बनाया जा रहा है.
अभी क्या है ग्रेच्युटी का नियम
पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी 1972 का अभी जो नियम है उसमें एक व्यक्ति को किसी कंपनी में पांच साल काम करने के बाद ग्रेच्युटी देने का प्रावधान है. सरकार इसी नियम को बदलना चाहती है. इसके लिए लेबर मिनिस्ट्री ने जानकारों से राय मांगी है. सरकार चाहती है कि ग्रेच्युटी की समय सीमा को घटाकर 3 साल कर दिया जाए.
क्या है भारतीय मजदूर संघ की मांग
भारतीय मजदूर संघ ने मोदी सरकार से मांग की है कि कर्मचारीयों के हित में सरकार ऐसा नियम लाए जिसमें एक व्यक्ति जिस कंपनी में जितने दिन काम करे उसे उतने दिन की ग्रैचुटी मिले। भारतीय मजदूर संघ ने लेबर मिनिस्ट्री के साथ एक इस बाबत एक बैठक भी की है। साथ ही उसकी लेबर मिनिस्ट्री के साथ एक बैठक ओर होनी है. मोदी सरकार पर भारतीय मजदूर संघ इसी फार्मूले को अपनाने के लिए दवाब बना रहा है. भारतीय मजदूर संघ राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ का सहयोगी दल है.
नियम बदलने से क्या होगा नफा – नुकसान
भारतीय मजदूर संघ के संघ के महासचिव विरजेश उपाध्याय ने बचाया कि अब प्राइवेट कंपनिया ने अपना ध्यान कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट पर रखने में लगा रखा है. उपाध्याय ने यह भी कहा कि अगर सरकार ग्रेच्युटी के नियम में बदलाव करके इसे तीन साल कर देगी तो प्राइवेट कंपनिया अपने कर्मचारियों को तीन साल से कम समय तक के लिए ही नौकरी पर रखेंगी और उसके बाद खेल करके कर्मचारियों को नौकरी से हटा देंगी.
अगर सरकार ग्रेच्युटी के नियम में बदलाव करती है तो इससे प्राइवेट सेक्टर के नौकरीपेश लोगों को काफी फायदा होगा. यह फायद उन कर्मचारियों को होगा किसी कंपनी में तीन साल से ज्यादा नौकरी करने के ग्रोथ न मिलने के कारण कंपनी छोड़ देते है उन के लिए यह नियम काफी फायदेमंद होगा.