कांग्रेस शासित राज्यों में किसानों (farmers) का कर्जमाफ  करने के ऐलान के बाद बीजेपी के सीएम दबाव में आ गए हैं। जिसके बाद उन्होंने भी किसानों को राहत देने की शुरुआत कर दी है। इस मामले में सबसे पहले गुजरात (gujrat) के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने प्रदेश के किसानों का बकाया करोंड़ों का बिल माफ (electricity) कर दिया है। इसके साथ ही दूसरे प्रदेशों में भी किसानों को राहत देने के उपाय ढूंढ़े जाने लगे हैं।

गुजरात के करीब छह लाख 22 हजार किसानों का करीब साढ़े छह सौ करोड़ के बिजली बिल माफ करने की घोषणा की है।

 

बिजली बिल माफ

मंगलावर को रिहायशी, कॉमर्शियल और कृषि क्षेत्र के 625 करोड़ रुपये के बिजली बिल माफ करने का ऐलान किया है. गुजरात के बिजली मंत्री सौरभ पटेल ने कहा कि 19 दिसंबर से तत्काल प्रभाव से ऐसे बिजली कनेक्शन से सभी बकाया राशि को माफ करने का फैसला किया है.

650 करोड़ का बिजली बिल माफ

गुजरात के ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण इलाको में रहने वाले करीब छह लाख 22 हजार परिवारों के ऊपर 650 करोड़ का बिजली बिल बकाया था। जिसे सरकार ने माफ कर दिया है। बिल माफी का लाभ पाने वालों में ज्यादातर वो लोग हैं। जिनका जीवन यापन का जरिया किसानी और पशुपालन हैं।

लोकसभा चुनाव में मिल सकता है लाभ

जानकारों के मुताबिक ग्रामीण किसानों का कर्ज माफ करने से बीजेपी को लोकसभा चुनाव में लाभ मिल सकता है। इसके साथ ही सरकार के प्रति किसानों की नाराजगी दूर करने का मौका भी है. इस प्रावधान का लाभ उठाने के लिए उपभोक्ताओं को 500 रुपये का भुगतान करके एक बारे निपटारे का लाभ उठा सकेंगे. यह छूट 19 दिसंबर, 2018 से 28 फरवरी, 2019 तक उपलब्ध होगी.

असम में कर्जमाफी की शुरुआत

गुजरात के अलावा सोमवार को असम की बीजेपी सरकार ने भी किसानों को भी राहत दी। सरकार ने किसानों के लोन का 25 पर्सेंट यानी (अधिकतम 25 हजार रुपये) माफ कर रही है. असम सरकार के इस फैसले से आठ लाख किसानों को लाभ मिलेगा। शर्त ये है कि कर्ज पीएसयू बैंकों और किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से लोन लिया गया हो। इसके साथ ही सरकार ने ब्याज राहत योजना को भी मंजूरी दी है. जिसके तहत प्रदेश के 19 लाख किसान जीरो ब्याज दर पर अगले साल से लोन ले सकेंगे.

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