Wednesday, April 23, 2025

सोशल मीडिया पर दिख रही हरियाणा कांग्रेस की फूट

नेहा कौशिक/ नई दिल्ली। मोदी सरकार से जुड़ा शायद ही कोई ऐसा मुद्दा हो जिस पर रणदीप सुरजेवाला कांग्रेस की तरफ़ से हमला करते हुए ना दिखते हों। प्रेस कॉन्फ्रेंस और टीवी डिबेट्स ही नहीं सोशल मीडिया पर भी सुरजेवाला की सक्रियता उतनी ही है। मगर, अपने गृह राज्य हरियाणा में वह अपनी पार्टी के लिए कोई अहमियत शायद नहीं रखते। हरियाणा कांग्रेस का ट्विटर हैंडल सुरजेवाला समेत हरियाणा से ताल्लुक रखने वाले तमाम अन्य नेताओं की ऐसी हालत की तस्दीक कर रहा है।

मोदी लहर पर सवार होकर 2014 में केंद्र की सत्ता पर सवार हुई भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा को भी कब्जे में ले लिया था। वहां पहली बार अपने बूते सरकार बनाई। लेकिन इस बार मोदी लहर का असर कम होता दिख रहा है पर हरियाणा की कांग्रेस इसका फायदा नहीं उठा पा रही है. मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी आलाकमान ने गुटबाजी पर फिलहाल काबू पा लिया है मगर हरियाणा में उसके नेताओं के ईगो बहुत बड़े हैं। भाजपा से लड़ने के लिए आपसी एकता सबसे बड़ी शर्त है। वहीं सोशल मीडिया आज की राजनीतिक लड़ाई में सबसे बड़ा हथियार है। हरियाणा कांग्रेस का ट्विटर हैंडल देखकर लगता है कि हरियाणा में प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर के अलावा कोई दूसरा नेता ही नहीं है। और, अशोक तंवर के अलावा कोई अन्य नेता ट्विट भी नहीं करता है।

यहां पार्टी इस कदर गुटों में बंटी हुई है कि सोशल मीडिया पर इसका असर साफ दिखाई देता है. हैंडल से केवल हरियाणा के कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर के टवीट्स को रिट्वीट किया जाता है. वहीं हरियाणा से केवल अशोक तंवर इकलौते ऐसे नेता हैं जिनकी सभाओं और रैलियों को हरियाणा कांग्रेस के ट्वीटर हैंडल से अपडेट किया जाता है. जबकि हरियाणा में कई ऐसे नेता हैं जो अशोक तंवर से ज्यादा प्रभावी हैं और हरियाणा की राजनीति में उनकी साख है. खुद हुड्डा अपने फेसबुक और टि्वटर हैंडल को अपडेट करते हैं पर हरियाण कांग्रेस की सोशल मीडिया इकाई उन पर धायन नहीं देती.

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इनमें से एक हैं और सत्ता वापसी के लिए कांग्रेस का माहौल बनाने में जुटे हैं। हुड्डा आए दिन कहीं न कहीं सभाएं कर रहे हैं लेकिन हरियाणा कांग्रेस के ट्विटर हैंडल पर उसका नाम ओ निशान नही है. जबकि ऐसे राजनीतिक माहौल में हर पार्टी अपने नेताओं के बयान और गतिविधियों को सोशल मीडिया के सहारे लोगों के बीच फैलाने का काम करती हैं.

यह भी पढ़ें- मुख्यमंत्री बनने की चाह बन रही विवाद की वजह

भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अलावा उनके सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा, पूर्व केंद्रीय मंत्री व राजयसभा सांसद कुमारी सैलजा से भी हरियाणा कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम किनारा किये हुए है। हरियाणा कांग्रेस के ट्विटर हैंडल पर पिछले दो महीनों के ट्वीट्स को खंगाला जाए तो लगता है कि हरियाणा कांग्रेस के सिर्फ एक ही नेता हैं। और वो हैं अशोक तंवर। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य राष्ट्रीय नेताओं के ट्विट्स रिट्वीट किए जाते हैं और उनके कार्यक्रमों को ट्विटर पर शेयर किया जाता है. लेकिन हरियाणा से जुड़े नेताओं को हरियाणा कांग्रेस का ट्विटर हैंडल कोई भाव नहीं दे रहा है. भले वो किसी भी कद के नेता हों। ऐसा लग रहा है जैसे हरियाणा में कांग्रेस का मतलब सिर्फ अशोक ही रह गए हैं। उनकी साइकिल रैलियां ही ट्विटर हैंडल पर भरी हुई हैं।

ट्विटर जैसा ही हाल हरियाणा कांग्रेस के फेसबुक पेज का है, इसमें भी केवल अशोक तंवर को ही कवरेज दी जा रही है. बाकी सारे नेता यहां से भी गायब हैं. ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है कि क्या हरियाणा के ऑफिशियल सोशल मीडिया हैंडल्स को अशोक तंवर के इशारे पर ऑपरेट किया जा रहा है? सवाल यह भी है कि क्या सोशल मीडिया पर हरियाणा के बाकी नेताओं की हो रही अनदेखी से वो परिचित हैं?

राजनीतिक महत्वाकांक्षा गृह क्लेश की मुख्य वजह

हरियाणा कांग्रेस में जितने भी दिग्गज नेता हैं उन सब में फूट पड़ी हुई है. पार्टी कई गुटों में बंटी हुई है, इन गुटों में सबसे ज्यादा प्रभावी दो गुट हैं जो हरियाणा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का है. एक गुट कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का भी है.

इसके अलावा कुमारी सैलजा और किरण चौधरी भी अपनी-अपनी पकड़ को अलग-अलग साबित करने में जुटी रहती हैं। एक तरफ हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर साइकिल यात्रा कर रहे हैं वहीं हुड्डा रैलियां और रथ यात्राएं निकाल कर अपना दबदबा साबित करवाने की कोशिश में हैं। ऐसा नज़ारा देखना दुर्लभ हो गया है कि सब ने एक मंच पर आकर भाजपा का विरोध किया हो. हरियाणा कांग्रेस में कितनी गहरी फूट है इसका अंदाजा 2016 में तंवर और हुड्डा के समर्थकों के बीच हुई झड़प में भी जाहिर हुआ था। इसमें प्रदेश अध्यक्ष घायल हुए थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था.

यह भी पढ़ें- तो अब राबर्ट वाड्रा से भी माफ़ी मांग लेनी चाहिए केजरीवाल को!

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles