इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त सरकारी, अर्द्ध सरकारी कर्मचारियों के रिटायरमेंट बेनिफिट्स का समय से भुगतान न करने को अवैध ही नहीं बल्कि पाप बताया है। कोर्ट ने कहा कि पाप इसलिए, क्योंकि भुगतान में देरी कानूनी अपराध घोषित नहीं है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को समय से सेवानिवृत्ति परिलाभों के भुगतान की सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइंस का पालन करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र ने बिजनौर के श्योहरा नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी (ईओ) कार्यालय से सेवानिवृत्त सफाई कर्मचारी राम कुमार की याचिका पर यह आदेश दिया है। कोर्ट ने ईओ को याची की पेंशन व सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान 15 अक्टूबर-23 तक करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश की जानकारी सर्कुलर जारी कर सभी विभागों को भेजने का भी आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि पालिका परिषद राज्य की श्रेणी में है। इसके अधिकारी लोक कर्तव्य निभाते हैं। संविधान सर्वोच्च है और देश की संप्रभुता आम जनता में निहित है। संविधान की आधार शिला सामाजिक व आर्थिक न्याय का उल्लघंन है। अधिकारियों व कर्मचारियों ने जनसेवक की जवाबदेही स्वीकार की है। उनके पास कानूनी अधिकार व मशीनरी है। यह ताकत आम लोगों के पास नहीं है। लिहाजा, वे आम लोगों को परेशान न कर अपना विधिक दायित्व पूरा करें। इन्हें मनमानी की छूट नहीं दी जा सकती कि वे समाज को क्षति पहुंचाएं।
कोर्ट ने कहा कि यह अदालत का दायित्व है कि वह जरूरी कदम उठाकर जन विश्वास कायम रखे। उनमें भरोसा कायम रहे कि वे असहाय नहीं हैं। अधिकारियों की मनमानी रोकने की कोई बड़ी अथॉरिटी मौजूद नहीं है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के मुक्तिनाथ राय केस में सेवानिवृत्ति परिलाभों के संबंध में समय से भुगतान के लिए जारी सामान्य समादेश का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया।