सरसों के तेल में भारी गिरावट से आम आदमी खुश लेकिन सरकार के लिए मुसीबत!

आम आदमी को राहत देने वाली खबर आ रही है. दरअसल, खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट देखी गई है. खबरों की मानें तो दिल्ली की तिलहन मंडी में बीते 12 मार्च को पिछले व्यापारिक दिन के मुकाबले सरसों और सरसों के तेल की कीमत सस्ती हुई. वहीं, सोयाबीन ऑयल तिल के तेल, पाम ऑयल और सूरजमुखी की कीमतें स्थिर रहीं. मार्केट में इनकी भारी खरीदारी के चलते दामों में स्थिरता दिखी.

रिपोर्ट्स की मानें तो 11 मार्च को तिलहन मार्केट में सरसों की 13 लाख बोरियां आईं थी, जबकि 10 मार्च को 9 लाख बोरियां हीं आईं थी. मार्केट में सरसों की मांग बढ़ने से किसान भी अपनी फसलों को पैसों के लिए एकाएक एमएसपी से कम कीमतों पर बेच रहे हैं.

किसान अपनी फसलें एमएसपी से कम दाम पर बेचने को मजबूर हैं. अगर यही सरसों किसानों से सरकार एमएसपी पर खरीदे तो किसानों को इससे फायदे होगा. और किसान सरसों का उत्पादन भी करेंगे. सरसों की तरह सोयाबीन, पाम ऑयल और मूंगफली के तेल का भी है.  किसान इस समय MSP से 10 से 12 प्रतिशत कम मूल्य पर सरसों बेच रहे हैं.

इस तरह से हो रही सरसों की बिक्री पर सरकार को ध्यान देना चाहिए नहीं तो सरसों, सोयाबीन, कपास, मूंगफली और सरसों की खेती किसानों पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है. लगभग 75 फीसदी कपास का MSP से 10 से 12 फीसदी कम पर स्टोर हो चुका है. वहीं, मूंगफली  भी एमएसपी से 6 से 7 फीसदी कम पर बिक रही है. सूरजमुखी भी एमएसपी से 30 से 35 फीसदी कम मूल्य पर बिका.

तेल की कीमतों में आई इस तरह की गिरावट से खाद्य तेल का संकट पैदा हो सकता है. अगर पॉम और पाम ऑयल को ऊंची कीमतों की वजह से इंपोर्ट न किया गया तो यह मांग को पूरा नहीं कर पाएगा. क्रूड पाम ऑयल (Crude Palm Oil) की कीमतें  $ 995 (Rs 82,340) से $ 1,000 (Rs 82,754) प्रति टन महंगी हुई हैं.

कीमतों में आई ऐसी गिरावट से सरकार चिंतित हो सकती हैं. क्योंकि इंपॉर्टेंट ऑयल से घरेलू बाजार की मांग को पूरा नहीं किया जा सकता है.

इस समय सरसों तिलहन- 5,325 से 5,365 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है. जबकि, मूंगफली 5,975 से 6,250 रुपये प्रति क्विंटल.  और मूंगफली का तेल मिल डिलीवरी (गुजरात)- 14,500 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है.

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