ज्ञानवापी मस्जिद केस में अब एक नया मोड़ आ गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी स्थित शृंगार गौरी की नियमित पूजा की याचिका में अपने निर्णय में कहा कि वर्तमान समय में साल में एक बार पूजा की अनुमति है। ऐसे में वर्ष में एक बार पूजा करने से मस्जिद के चरित्र को कोई खतरा नहीं है तो रोजाना या साप्ताहिक पूजा पाठ से मस्जिद के चरित्र में बदलाव कैसे हो सकते हैं?
बता दें कि पिछले साल अगस्त में दिल्ली की महिला राखी सिंह समेत चार अन्य महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मौजूद शृंगार गौरी और कुछ अन्य देवी देवताओं की पूजा-पाठ के लिए अनुमत मांगते हुए कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उसी याचिका को पर अब इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा बयान सामने आया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी देते हुए कहा कि साल 1990 तक रोजाना मां शृंगार गौरी, हनुमान और गणेश जी की होती थी। बाद में इसे साल में एक बार पूजा करने की अनुमति दी गई। तो अब सरकार या स्थानीय प्रशासन नियमित पूजा की व्यवस्था कर सकते हैं। यह मामला प्रशासन और सरकार के लेवल का मामला है और इसका कानून से कोई संबंध नहीं है।
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शृंगार गौरी की नियमित पूजा अधिकार मामले में जिला न्यायालय के आदेश को ही बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि 1993 में शृंगार गौरी की पूजा रोकने के बाद कई सालों तक हिन्दू समुदाय की तरफ से पूजा के लिए कानूनी कदम नहीं उठाया। और फिर साल 2021 में हिन्दू पक्षकारों को पूजा से रोक दिया गया। इस बात से इनके रोजाना पूजा के अधिकार की मांग खत्म नहीं होती है।