नई दिल्ली: भारत समुद्री ताकत के मामले में विश्व के टॉप फाइव देशों में शामिल है। समुद्री ताकत बढ़ाने और डिफेंस सिस्टम अभेद्य बनाने के लिये देश की विभिन्न रक्षा प्रयोगशालाओं में लगातार काम चल रहा है। प्रयोगशालाओं में खास तौर पर अत्याधुनिक सोनार्स और टॉरपीडो पर कार्य किया जा रहा है। गर्व की अनुभूति कराने वाली यह जानकारी डीएमएसआरडीई में बुधवार को जुटे रक्षा वैज्ञानिकों ने दी।
संस्थान में आयोजित रक्षा वैज्ञानिकों के सेमिनार में विशेषज्ञों ने कहा कि देश को नौसैनिक ताकत के लिहाज से और मजबूत करने के लिए डीआरडीओ के नेवल क्लस्टर में तेजी से कार्य चल रहा है। इस क्लस्टर में कुन्नूर, हैदराबाद, जोधपुर, विशाखपट्टनम, कोचीन, अम्बरनाथ व कानपुर की कुल छह रक्षा प्रयोगशालाओं में कार्य चल रहा है। रक्षा वैज्ञानिक नये पदार्थो पर कार्य कर रहे हैं। खास तौर पर दुश्मन देश की पनडुब्बियों का समुद्र के भीतर से पता लगाने के लिए नये सोनार्स बनाए जा रहे हैं।
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इनको तैयार करने के लिए पिजोकम्पोजिट पदार्थ का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम पर भी प्रयोगशालाओं में कार्य हो रहा है। खास तौर पर रक्षा पण्राली मजबूत करने के लिए एन्टी टॉरपीडो डिफेंस सिस्टम पर फोकस किया जा रहा है।
नेवल सिस्टम्स एण्ड मैटीरियल्स के महानिदेशक डा. एसपी कामत ने जानकारी दी कि समूचे विश्व में सिर्फ छह देश ही टॉरपीडो बनाते हैं। इनमें भारत भी शामिल है। इस दौरान यह भी बताया गया कि इस तरह के कायरे के लिए डीआरडीओ में पर्याप्त कर्मी हैं। फिर भी कर्मियों की संख्या बढ़ाने के लिए भारत सरकार को लिखा गया है।