देश के इस हिस्से में हनुमान जी को कहते हैं ‘पहाड़ चोर’, नहीं होती है पूजा

देश का ऐसा कौन-सा हिस्सा न हो जहां श्रीराम भक्त हनुमान की पूजा ना होती हो. हनुमान जी को भगवान श्रीराम की तरह पूजनीय माना जाता है. हनुमान जी को शक्ति का देवता भी माना जाता है. तुलसीदास ने रामायण में लिखा है कि हनुमान जी कलयुग में भी जीवित रहेंगे और भक्तों पर कृपा दृष्टि बनाए रखेंगे.

इन्हीं वजहों से बच्चे, बुजुर्ग, महिला, पुरुष सबके प्रिय देवताओं में से हैं एक हैं हनुमान जी. लेकिन देश का एक ऐसा गांव है जहां के लोग राम भक्त हनुमान जी से खफा है और कभी भी उनकी पूजा नहीं करते हैं. यह इस गांव की सच्चाई है और इसके पीछे की कहानी भी खास है.

चमोली जनपद में है द्रोणागिरी पर्वत जहां से हनुमान ले गये संजीवनी, जीव जगत की ८४ लाख योनियों का विवरण, आज का पंचाग आपका राशि फल – Breaking Uttarakhand

 

पहाड़ चोर

रामायण की एक घटना के बारे में आपने कई बार सुना होगा. जब श्रीराम और रावण के बीच युद्ध चल रहा था तब रावण ने मेघनाद को युद्ध के मैदान में भेजा. मेघनाद ने भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण जी को बाणों से भेद देता है. जिससे लक्ष्मण जी अचेत हो जाते हैं. लक्ष्मण जी को बचाने के लिए चमत्कारी संजीवनी बूटी की जरूरत होती है तब पवन पुत्र हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने के लिए हिमालय के द्रोणागिरी पर्वत पर बूटी की तलाश में जाते हैं. लेकिन संजीवनी बूटी की पहचान नहीं हो पाने की वजह से हनुमान जी पूरा द्रोणागिरी पर्वत ही उखाड़ लाते हैं.

 

उत्तराखंड के द्रोणागिरी गांव के रहने वाले ग्रामीण द्रोणा पर्वत को उखाड़ ले जाने की वजह से हनुमान जी से नाराज है. गांव वालों की नजरों में पवनपुत्र हनुमान ‘पहाड़ चोर’ है. इस गांव में कई देवी-देवताओं के मंदिर है, लेकिन वहां हनुमान जी की कोई मूर्ति स्थापित नहीं की गई है.

उत्तराखंड के चमोली जिले के गांव वाले द्रोणागिरी पर्वत की पूजा करते हैं और आज भी यहां आयोजित होने वाले ‘जागर महोत्सव’ में इस पर्वत की देव प्रभात नाम से अर्चना की जाती है.

bhajanpura hanuman mandir, जड़ से चोरी हो गया हनुमान मंदिर, सोते रह गए 'पहरेदार' - bhajanpura hanuman temple theft - Navbharat Times

 

माना जाता है की राम भक्त हनुमान ने पर्वत का एक हिस्सा उखाड़कर इसे खंडित कर दिया. यह भी कहा जाता है कि जब गांव वालों को बजरंगबली के इरादे की सूचना मिली तो उन्होंने पर्वत छिपा दिया था. मगर हनुमान जी को संजीवनी बूटी लेकर जाना था इसलिए उन्होंने ब्राह्मण का भेष बदलकर छल से पर्वत का एक हिस्सा उठा ले गए.

हनुमान जी को संजीवनी बूटी तक पहुंचाने का मार्ग एक बूढ़ी औरत ने बताया था. इसलिए इस गांव के लोग आज भी द्रोणागिरी पर्वत की पूजा में महिलाओं को शामिल नहीं करते है.

रामलीला में हनुमान नहीं

द्रोणागिरी गांव में भगवान राम की पूजा पूरे मन से की जाती है. यहां देश के अन्य जगहों की तरह रामलीला भी आयोजित की जाती है. मगर इसमें हनुमान जी का कोई जिक्र नहीं होता है. इस रामलीला में राम जी का जन्म, राम-सीता का विवाह व राम के राज्याभिषेक तक के ही घटनाक्रम को दिखलाया जाता है. हनुमान की पूजा द्रोणागिरी पर्वत से ग्रामीणों की धार्मिक भावनाएं जुड़ी होने की वजह से नहीं की जाती है.

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles