जब शेख हसीना को बेटी की तरह भारत में महफ़ूज़ रखा इंदिरा गांधी ने

15 अगस्त 1975 का वो दिन, जिस दिन पूरा भारत आजादी के जश्न में झूम रहा था. लेकिन कोई ऐसा भी था जो पूरी दुनिया में फोन लगा रहा था. वो कोई और नहीं बल्कि जर्मनी में बांग्लादेश के राजदूत हुमांयू रशीद चौधरी थे. जब कहीं बात नहीं बनी तो उन्होंने भारत में अपने समकक्ष को फोन लगाकर तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी से बात करने की इच्छा जताई, लेकिन किन्हीं कारणों के कारण उनकी बात इंदिरा गांधी से नहीं हो पाई.

ऐसे में रशीद ने सारे प्रोटोकॉल तोड़ते हुए पीएमओ में फोन लगाया. जहां उनकी बात इंदिरा गांधी से हुई. हालांकि, आमतौर पर इंदिरा खुद फोन नहीं उठाती थी, लेकिन उस दिन उन्होंने खुद फोन उठाया और चौधरी साहब ने पूरा मामला समझा दिया. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर ये फौन क्यों और किसलिए किया गया था.

ये था पूरा मामला

बांग्लादेश के संस्थापक नेता शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या कर दी गई थी और उनकी बेटियां विदेश में थी. बड़ी बेटी शेख हसीना उनके पति वाजेद और छोटी बेटी रेहाना यूरोप में फंसी हुई थी जहां उनकी भी हत्या हो सकती थी. वहीं उस समय शेख मुजीबुर्रहमान के इशारों पर नाचने वाले बांग्लादेशी राजदूतों ने पाला बदल लिया था. कई राजदूतों ने दोनों बहनों की मदद और अपनी कार तक देने से मना कर दिया था. ऐसे समय में दोनों बहनों की मदद के लिए भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी आगे आई, जिसके बाद एक हफ्ते के अंदर शेख हसीना अपने पति और छोटी बहन के साथ दिल्ली आ गई. जहां उनकी सुरक्षा में रॉ और पुलिस गुप्त रुप से तैनात रही. शेख हसीना को परिवार समेत सीक्रेट शरण दी गई.

फूट फूट कर रोने लगी हसीना

वहीं कुछ दिनों बाद इंदिरा से हसीना की मुलाकात हुई. जहां शेख हसीना ने इंदिरा गांधी से पूछा ‘ क्या आपको पता है ढाका में क्या हुआ था ?’ थोड़ी सी खामोशी के बाद इंदिया ने जवाब दिया ‘मेरी जानकारी के मुताबिक आपके परिवार से कोई भी नहीं बचा है’ . इतना सुनते ही शेख हसीना के सब्र का बांध टूट गया वो फूट फूट कर रोने लगी . इंदिरा जी ने एक मां की तरह उन्हें गले से लगा लिया . शेख हसीना इस एहसान को अभी तक नहीं भूली होंगी . वो करीब 6 साल हिंदुस्तान में रहीं और फिर जब ढाका पहुंची तो लाखों लोगों ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया. उसके बाद जो हुआ वो इतिहास है.

हसीना का पीएम बनना भारत के लिए फायदेमंद

वहीं आज शेख हसीना चौथी बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं. बांग्लादेश में विपक्ष का सूपड़ा साफ हो गया है. अवामी लीग की सरकार जब भी बांग्लादेश में बनती है भारत से रिश्ते मधुर हो जाते हैं. इसकी वजह शायद इंदिरा गांधी का वो एहसान है जो उन्होंने शेख हसीना पर 43 साल पहले किया था. अब 81 साल की शेख हसीना शायद आखिरी बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने जा रही हैं. ये अच्छा मौका होगा जब वो भारत के साथ विवादित मुद्दों को सुलझाकर इंदिरा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करें.

इंडिया न्यूज के सुधीर कुमार की फेसबुक वॉल से

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