लखनऊ: चुनावी सीजन में गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी है। उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों को गन्ना किसानों को बकाया भुगतान पर ब्याज देना होगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में शपथ पत्र देकर गन्ने के बकाया पर ब्याज का भुगतान करने की बात मान ली है। राज्य के किसानों के बकाए पर ब्याज करीब 2,000 करोड़ रुपये था, जिसे अखिलेश सरकार ने माफ कर दिया था। बकाया भुगतान 2011 से चार वर्षों का है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन की याचिका पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज्य के गन्ना आयुक्त संजय आर. भूसरेड्डी ने हलफनामा देकर बकाया पर ब्याज देना स्वीकार कर लिया। हफलनामे के अनुसार राज्य की जो चीनी मिलें फायदे में हैं, वे किसानों को बकाए पर 12 फीसदी का ब्याज तथा जो चीनी मिलें घाटे में चल रही है वे 7 फीसदी ब्याज देंगी।
बताया जा रहा है कि हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के बकाया भुगतान ब्याज समेत दिए जाने का आदेश दिया था जिसको तत्कालीन अखिलेश सरकार की कैबिनेट ने फैसला कर रद्द कर दिया था। राज्य सरकार द्वारा इस फैसले को रद्द करने से जहां राज्य के लाखों किसान प्रभावित हुए, वहीं किसानों के बकाया तत्काल भुगतान को रास्ता भी बंद हो गया, क्योंकि जब चीनी मिलों को ब्याज ही नहीं देना पड़ेगा, तो फिर भुगतान मिलें अपनी मर्जी से करेंगी।
सूबे के करीब 40 से 42 लाख किसान परिवारों का गन्ने का ब्याज बकाया है। कोर्ट ने साल 2011-12, 2012-13 और 2013-14 तथा 2014-15 के जिस बकाये पर ब्याज देने को कहा है वह रकम करीब 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होती है। तत्कालीन अखिलेश सरकार ने कैबिनेट में बकाया भुगतान नहीं करने का प्रस्ताव पारित किया था, जिस कारण अखिलेश सरकार को किसानों की नाराजगी झेलनी पड़ी और उनकी पार्टी सत्ता से बाहर हो गई।