कहानी डॉ. पद्मराजन की, जो देश के लिए हैं हार की मिसाल

डॉ. पद्मराजन
डॉ. के पद्मराजन

चुनावी माहौल हैं… तो चुनाव की बात न हो, ऐसा तो हो नहीं सकता. इन दिनों हर उम्मीदवार सिर्फ़ इसी जद्दोजहद में जुटा है कि किस तरह से मतदाताओं को आकर्षित करके जीत हासिल की जाए. ऐसे में कोई सपने में भी हारने की नहीं सोचता होगा. लेकिन भारतीय राजनीति में एक शख्स ऐसा भी है, जो खुद को ‘ऑल इंडिया इलेक्शन किंग’ कहता है. जिसने अब तक अपने जीवन में 170 चुनाव लड़े हैं, लेकिन किसी भी चुनाव में सफलता हाथ नहीं लगी. आइए आपको मिलाते हैं इलेक्शन किंग से जो देश के लिए हैं हार की मिसाल.

डॉ. पद्मराजन
डॉ. के पद्मराजन

कुछ लोग बार-बार कोशिश करने के बावजूद हार नहीं मानते और यह बात डॉ. के पद्मराजन पर बिल्‍कुल सटीक बैठती है. दरअसल, तमिलनाडु के सलेम के रहने वाले डॉ. पद्मराजन ने साल 1988 में पहली बार चुनाव लड़ने के लिए मैदान में कदम रखा लेकिन इसमें उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा. हालांकि इसके बाद भी उनका जज्‍बा कम नहीं हुआ. वो लगातार चुनावी दंगल में उतरते रहे और हारते रहे. डॉ. के पद्मराजन अभी तक 170 चुनाव लड़ चुके हैं. लेकिन 60 साल के पद्मराजन एक भी चुनाव नहीं जीत पाए. बता दें कि इनका नाम लिम्बा बुक ऑफ रिकॉर्डस में भारत के सबसे असफल उम्मीदवार के रुप में दर्ज हैं.

डॉ. पद्मराजन एक होम्‍योपैथिक डॉक्टर हैं जो बाद में बिजनेसमैन बन गए. वो खुद को ऑल इंडिया इलेक्‍शन किंग बोलते हैं. वो स्‍थानीय चुनावों से लेकर लोकसभा चुनावों तक में अपना हाथ आजमा चुके हैं. यही नहीं, वो राष्‍ट्रपति पद के लिए होने वाला चुनाव भी लड़ चुके हैं. लेकिन यहां भी असफल रहे.

आपको यह खबर थोड़ी हास्यास्पद लग सकती है लेकिन पद्मराजन ने अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह, प्रणब मुखर्जी, एपीजे अब्दुल कलाम, जयललिता, पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी, पूर्व राष्ट्रपति के. आर. नारायण, पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा जैसे दिग्गजों के ख़िलाफ़ भी चुनाव लड़ा है. साथ ही 2017 में ये राष्ट्रपति पद के लिए भी चुनाव लड़ चुके हैं. हैरानी की बात तो ये हैं कि इतनी बार हार का सामना करने के बाद भी डॉ. के पद्मराजन ने चुनाव लड़ना नही छोड़ा हैं.

अब आप ये सेच रहें होंगे कि कोई उम्मीदवार लगातार 170 बार कैसे हार सकता हैं और इतने बाद हारने के बावजूद ये हर बार चुनाव क्यों लड़ते हैं… तो आपको बता दें कि पद्मराजन जीतना ही नहीं चाहते हैं. वो अपने लिए वोट की अपील भी करते हैं तो कहते हैं कृपया मुझे वोट ना दें… एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि जब नामांकन भर रहे होते हैं तब भगवान से प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि हे भगवान मुझे चुनाव में हरा देना. पद्मराजन ने बताया कि अगर उनकी खुद की पार्टी होती तो उसका नाम होता ‘चुनाव किंग फेल पार्टी’. ऐसे मे तो इन्हें हार की मिसाल कहना ठीक होगा.

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