जम्मू-कश्मीर के शोपियां में रविवार को आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई मुठभेड़ में एक ऐसा जवान शहीद हुआ, जो कि एक समय पर खूंखार आतंकी था. हालांकि बाद में उन्होंने समर्पण कर दिया था. आर्मी ने वानी को सच्चा सैनिक बताया है.
आतंकी से कैसे बने भारतीय सैनिक
कुलगाम के चेकी अश्मुजी गांव के रहने वाले लांस नायक नजीर अहमद वानी (38) शुरू में गलत रास्ते पर चले गए थे और एक आतंकी बन गए थे। हालांकि बाद में उन्होंने आतंक का रास्ता छोड़ समर्पण कर दिया। इसके बाद उन्होंने 2004 में भारतीय सेना ज्वाइन की और टेरिटोरियल आर्मी की 162वीं बटालियन से अपने करियर की शुरुआत की.
21 बंदूकों की सलामी दी
रविवार को हुई मुठभेड़ में 6 आतंकी मारे गए थे। सेना के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने बताया कि, “वानी” को बाटागुंड में मुठभेड़ के दौरान गोलियां लग गई थी। जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। सोमवार को अंतिम संस्कार के दौरान लांस नायक वानी का पार्थिव शरीर तिरंगे में लपेटा गया और 21 बंदूकों की सलामी दी गई। उनके परिवार में पत्नी, बेटा और बेटी हैं।
हिजबुल और लश्कर से जुड़े थे आतंकी
25 नवंबर को शोपियां के हिपुरा बाटागुंड इलाके में 6 आतंकी मारे गए थे, जिसमें से चार हिजबुल मुजाहिदीन और दो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे। उनकी पहचान उमर मजीद गनी, मुश्ताक अहमद मीर, मोहम्मद अब्बास भट, मोहम्मद वसीम वगई, खालिद फारूक मली के रूप में हुई। उमर गनी बाटमालू एनकाउंटर के दौरान बच निकला था। पिछले दिनों उसकी तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें उमर लाल चौक के आसपास नजर आया था। बीते दो साल में वह कई जवानों और आम नागरिकों की हत्या में शामिल रहा था.