हमारे भारत में सभी देवी-देवताओं और भगवानों के जन्म से जुड़ी कथाओं के बारे में अपने सुना होगा। जिनका हमारे लिए बहुत महत्व होता है और इस दिन में उपायों को करने से हमारे सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। आपने अष्टमी से जुड़े कई उपाय और टोटकों के बारे में सुना होगा।
बता दें कि फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मां सीता का जन्म हुआ था। इस साल में दिन 26 फरवरी को मनाई जा रही है। माना जाता है कि इस दिन मिथिला नरेश राजा जनक और रानी सुनयना को सीता नाम की कन्या का जन्म हुआ था। जिस कारण इसे जानकी जयंती के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा-
कथानुसार माता सीता का जन्म मिथिला के एक खेत में हुआ था। बता दें कि सूखा पड़ने की वजह से एक यज्ञ के अनुष्ठान के लिए राजा जनक खेत जोतने के लिए कहा जिसके बाद वह खेत में हल चलाने के लिए गए और उन्हें वहां एक क्यारी में कन्या मिली। जिसे पाकर राजा जनक बहुत खुश हुए और कन्या का नाम सीता रखा।
जानकी जयंती पर माता सीता कि पूजा को बहुत महत्व दिया जाता था। इस दिन पूजा कि शुरुआत गणेश भगवान और अंबिका जी की पूजा से की जाती है। और सीता माता की तस्वीर के सामने पीले फूल चढ़ाएं जातें हैं। साथ ही 108 बार नीचे लिखे मंत्र का जाप करते हैं श्री जानकी रामाभ्यां नमः, जय श्री सीता राम, श्री सीताय नमः ।