मुंबई। महाराष्ट्र के पालघर इलाके में गड़चिंचले गांव में दो साधुओं और उनके कार ड्राइवर की लाठियों से पीटकर निर्मम हत्या कर दी गई। घटना के वक़्त पुलिस असहाय बनी खड़ी रही. लॉकडाउन के बीच हिंसक भीड़ के हाथों बर्बरता को लेकर महाराष्ट्र सरकार निशाने पर आ गई है। सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा निकल रहा है। वहीं, साधु-संत समाज भी इस घटना के बाद आगबबूला हो गया है. पुलिस ने मुक़दमा दर्ज करके हत्या के आरोप में सौ से ज्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया है, सरकार ने अपनी सफाई में कहा है कि ग्रामीणों ने मृतकों को चोर समझ लिया था और उनपर हमला बोल दिया।
दरअसल, मुंबई से दो संत 16-17 अप्रैल की दरम्यानी रात अपने एक साथी संत के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए गुजरात के सूरत जा रहे थे। बताया जा रहा है कि लॉकडाउन की वजह से पुलिस ने उन्हें राष्ट्रीय राजमार्ग से नहीं जाने दिया। हाइवे पर रोके जाने की वजह से ड्राइवर ने गाड़ी दूसरे रास्ते से निकाल ली, गांव -गाँव होते हुए इस रास्ते पर जब उनकी गाड़ी पालघर इलाके में गड़चिंचले गांव पहुंची तो करीब दो सौ लोगों की भीड़ ने गाडी पर पथराव कर दिया। ड्राइवर को गाडी रोकनी पड़ी, और भीड़ ने साधुओ को पीटना शुरू कर दिया। इन लोगों ने गाडी से उतरकर एक मंदिर में शरण ली। ड्राइवर पुलिस को खबर कर चुका था, गश्त कर रही पुलिस मौके पर दिखी भी मगर भीड़ के आगे बेबस कड़ी रही। हिंसक भीड़ ने साधुओं और उनके ड्राइवर को लाठी-डंडो से पीट कर मार डाला।
भीड़तंत्र का ऐसा भयंकर रूप।पालघर में जूना अखाड़े के दो साधुओं की निर्मम हत्या पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने सख़्त कार्यवाई की माँग की है।कोरोना संकट के बीच भी लिंचिंग! इनको लाठी डंडों के साथ खून की प्यासी भीड़ के बीच क्यों छोड़ा गया? pic.twitter.com/fxbFFDlzmr
— Anjana Om Kashyap (@anjanaomkashyap) April 19, 2020
जिन तीन लोगों की हत्या हुई थी, उनमें से दो संतों की पहचान 35 साल के सुशीलगिरी महाराज और 70 साल के चिकणे महाराज कल्पवृक्षगिरी संत के रूप में हुई है। जबकि तीसरा व्यक्ति 30 साल के निलेश तेलगड़े के तौर पर हुई है, जो गाड़ी चला रहे थे। पुलिस का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान चोर-डाकुओं को लेकर ग्रामीण पहरेदारी कर रहे हैं। दो दिन पहले ऐसी ही गलतफहमी में पुलिस टीम पर भी हमला कर दिया गया था। सुनसान रास्ते पर रात को साधुओं की गाडी को लेकर भी चोर होने की अफवाह फैली भीड़ ने बिना कुछ सोचे समझे वारदात को अंजाम दे दिया ,बताया जा रहा है कि इस मॉब लॉन्चिंग में मौके पर मौजूद पुलिस वाले भी ग्रामीणों के हमले में घायल हुए हैं।
उधर, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी हत्या के आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। ये पूरी घटना वहां मौजूद कुछ पुलिसकर्मियों के सामने हुई। इस मामले में पुलिस ने 110 लोगों को गिरफ्तार कर उनपर मामला दर्ज कर लिया है, वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद लोगों ने महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार को भी निशाने पर लिया है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री कार्यालय के ट्विटर हैंडल से रविवार देर रात ट्वीट किया गया है. उसमें मुख्यमंत्री ने कहा है, ‘‘पालघर की घटना पर कार्रवाई हुई है. पुलिस ने दो साधुओं, एक ड्राइवर और घटना के वक्त ही पुलिसकर्मियों पर हमला करने के सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.’’
‘इस जघन्य अपराध और शर्मनाक घटना के किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और उन्हें जितनी कड़ी सजा संभव है दिलाई जाएगी.’’
वहीं महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने ट्वीट किया, ‘ सूरत जा रहे तीन लोगों की पालघर में हुई हत्या में संलिप्त 101 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है. हत्या के मामले में मैंने उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया है.’ देशमुख ने कहा कि पुलिस ऐसे लोगों पर करीबी नजर रख रही है, जो इस घटना के जरिए समाज में वैमनस्य पैदा करना चाहते हैं. देशमुख ने कहा, ‘ पालघर की घटना में जो लोग मारे गए और जिन्होंने हमला किया, वह अलग-अलग धर्मों के नहीं थे.’
वारदात की अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कड़े शब्दों में निंदा की है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से दोनों संतों की हत्या की जांच और दोषियों के साथ उन पुलिस वालों पर भी कड़ी कार्रवाई की मांग की जो वारदात के वक्त तमाशा देखते रहे थे.