श्रीगंगानगर: राजस्थान के श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों में एक महिला अपनी दो मासूम पुत्रियों को अलग-अलग स्थानों पर छोड़कर नदारद हो गई, लेकिन विधाता ने ऐसा संयोग बनाया कि एक दिन के अंतराल में दोनों एक ही आश्रम में पहुंच गईं। यह दिलचस्प मामला गंगानगर जिले में एक आश्रम में उजागर हुआ। आश्रम की वरिष्ठ सेवादार ऋतूबाला ने आज बताया कि 18 अप्रैल की शाम को श्रीगंगानगर जीआरपी थाना की महिला पुलिस पांच वर्षीय बालिका जश्न को बाल कल्याण समिति के माध्यम से आश्रम में लेकर आई।
जश्न उसी दिन सुबह जिले के सूरतगढ़ रेलवे स्टेशन पर भटकते हुए मिली थी। उन्होंने बताया कि आश्रम संचालकों के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, जब अगले ही दिन हनुमानगढ़ की जिला बाल कल्याण समिति ने जीआरपी हनुमानगढ़ के मार्फत एक चार वर्षीय बच्ची को इस आश्रम में आश्रय देने के लिए भेजा। जैसे ही इस बच्ची ने आश्रम में जश्न को देखा तो वह भागकर उससे लिपट गई। वह उसकी छोटी बहन जसवीर कौर थी।
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वरिष्ठ सेवादार ऋतूबाला के अनुसार उनसे बातचीत के बाद पता चला कि इनका सम्बंध पंजाब के मुक्तसर क्षेत्र से है। जश्न और जसवीर कौर ने बताया कि मां अमन उन्हें रेलगाड़ी से लेकर आई थी। जसवीर कौर को हनुमानगढ़ रेलवे स्टेशन पर छोड़ते हुए मां ने कुछ रुपये खाने-पीने के लिए दिये। जश्न को उसकी मां ने हनुमानगढ़ से लगभग 70 किमी दूर सूरतगढ़ रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया। उसे खाने-पीने के लिए कुछ नहीं दिया।
दोनों का कहना है कि उनके एक और छोटी बहन सुमन भी है। घर में एक बालक भी है, जिसे वे भाई कहती हैं। वे पिता का नाम सोनू और नाना का नाम चीना बता रही हैं। सोनू चिनाई मिस्त्री का काम करता है। इन बच्चियों ने आज सुबह बताया कि वे मुक्तसर की रहने वाली हैं। आश्रम के सेवादार अब मुक्तसर मेें अपने सम्पर्कों के जरिये इनके मां-बाप का पता लगा रहे हैं। प्रथम दृष्टया यह मामला तीन बच्चियां होने के कारण मां द्वारा दो बच्चियों को छोड़े जाने का लग रहा है।