ISI के मोहरे थे आबिद और ताहिर, सेना के जवानों से करते थे दोस्ती फिर ऑपरेशन को देते थे अंजाम

नई दिल्ली, राजसत्ता एक्सप्रेस। पाकिस्तान के दगाबाज अफसरों के मामले में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। अपडेट यह है कि इन दोनों अफसरों की जालसाजी भारत के धुरंधर अधिकारी पहले ही भांप चुके थे। इन दोनों को रंगे हाथ पकड़ने के लिए एक महीने पहले ही ऑपरेशन शुरू हो चुका था। शक यकीन में बदलते ही पाकिस्तान उच्चायोग के इन अफसरों को रंगे हाथ जासूसी करते पकड़ लिया गया। दोनों को जासूसी के आरोप में हिरासत में लिया गया। पाकिस्तान उच्चायोग के इन दोनों अधिकारियों पर भारतीय सुरक्षा तैयारियों सहित आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी सूचनाओं की जासूसी करने का आरोप है।

एमआईयू ने अदा किया अहम रोल

इन दोनों को दबोचने में मिलिट्री इंटेलिजेंस यूनिट (MIU) ने अहम रोल अदा किया है। एमआईयू को इनपुट मिले थे कि पाकिस्तान उच्चायोग में काम करने वाले आबिद और ताहिर भारतीय सेना के जवानों को निशाना बना रहे हैं। ये दोनों मैपिंग कर सेना के जवानों से संपर्क साधते, उनसे दोस्ती करते और फिर उनसे खुफिया जानकारी निकालने की कोशिश करते। इनको अपना मोहरा चुनने की छूट नहीं थी, इन्हें आईएसआई के नक्शे कदम पर चलना पड़ता था। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई इन्हें उन भारतीय सैन्यकर्मियों व अधिकारियों के नामों की लिस्ट देती थी, जिनसे बड़ी जानकारी हासिल हो सकती थी। एमआईयू की टीम को जैसे ही इनके बारे में पता चला, इन्हें पकड़ने के लिए अपना ऑपरेशन शुरू कर दिया गया।

फंसते गए जाल में

यह जानने के बाद कि आर्मी के संबंध में जानकारी और दस्तावेज हासिल करने के लिए आबिद और ताहिर करोल बाग में एक व्यक्ति से मिलने जा रहे हैं, तो उन्हें रंगे हाथ पकड़ने के लिए जाल बिछाया गया। मिलिट्री इंटेलिजेंस के साथ स्पेशल सेल की एक टीम ने उन्हें दिल्ली के करोल बाग इलाके में आर्य समाज रोड पर बीकानेर वाला चौक के पास पकड़ा। दोनों को पाकिस्तान उच्चायोग से मिली आधिकारिक कार से बाहर आने के लिए कहा गया।

छोटी सी गलती ने खोल दी पोल

पकड़े जाने पर जब पूछताछ हुई तो आबिद ने बताया कि वह गीता कॉलोनी का रहने वाला है और उसका नाम नासिर गौतम है। उसने पहचान पत्र के तौर पर अपना आधार कार्ड दिखाया। भारतीय अधिकारियों ने फौरन भांप लिया कि यह फर्जी पहचान पत्र है क्योंकि ‘गौतम’ की स्पेलिंग गलत थी। उसके आधार कार्ड पर गौतम की जगह ‘गोतम’ लिखा हुआ था। जल्द ही दोनों ने कबूल लिया कि दोनों पाकिस्तान के नागरिक हैं और यहां उच्चायोग में तैनात हैं। 42 साल के आबिद हुसैन ने बताया कि वह शेखपुरा, पंजाब, पाकिस्तान का रहने वाला है। वहीं, 44 साल के मोहम्मद ताहिर ने स्वीकार किया कि वह इस्लामाबाद का रहने वाला है। दोनों भारत में स्थित पाक उच्चायोग में वीज़ा अधिकारी के पद पर तैनात हैं। 36 साल के जावेद हुसैन ने भी कबूला कि वह पाकिस्तान में भक्कर का निवासी है और उन दोनों के लिए गाड़ी चलाने का काम कर रहा था।

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