जानिए सच्चाई : पीएम मोदी को फिलिप कोटलर अवॉर्ड मिलने पर इतना विवाद क्यों?

हाल ही में देश के प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी को फिलिप कोटलर प्रेसिडेंशियल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया लेकिन जैसे ही प्रधानमंत्री को ये अवार्ड मिला विपक्षी दलों में अवॉर्ड को लेकर बवाल मच गया. ऐसे में इस अवॉर्ड के बारे में जानना बेहद जरुरी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके उत्कृष्ट नेतृत्व और देश के लिए निस्वार्थ भाव से सेवा के लिए ये अवॉर्ड दिया गया है. खास बात ये है कि पहले कभी ये अवार्ड किसी को नहीं दिया गया. कहा जा रहा है कि नरेंद्र मोदी को इस अवॉर्ड के लिए उनकी बेहतरीन मार्केटिंग स्ट्रेटजी और दूरदर्शिता के कारण चुना गया है.

क्या है फिलिप कोटलर प्रेसिडेंशियल अवॉर्ड

फिलिप कोटलर अवॉर्ड को दुनिया भर में बिजनेस और मार्केटिंग मैनेजमेंट के क्षेत्र से जुड़े बेहतरीन कामों को प्रोत्साहित करने के लिए डिजाइन किया गया है.

दरअसल, फिलिप कोटलर नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, केलॉग स्कूल ऑफ मैनेजमैंट में मार्केटिंग के एक फेमस प्रोफेसर हैं, उन्हीं के नाम पर इस अवॉर्ड का नाम रखा गया है. कोटलर मार्केटिंग से संबंधित 52 किताबें लिख चुके हैं. इनका काम मार्केटिंग स्ट्रेटेजी के आसपास घूमता है. बता दें कि मार्केटिंग स्ट्रेटेजी के लिए कोटलर को 50 सबसे बड़े थिंकर्स में से 11 स्थान प्राप्त है.

फिलिप को मॉडर्न मार्केटिंग का गुरु माना जाता है. कोटलर ने स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा में ट्वीट किया और इस अवॉर्ड के लिए मोदी जी का चयन एकदम सही ठहराया. उन्होंने लिखा कि नरेंद्र मोदी की कोशिशों और निस्वार्थ सेवा के कारण भारत में असाधारण आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी विकास हुआ है।

उन्होंने ट्वीट के जरिए पीएम मोदी को बधाई दी और कहा कि मोदी का पुरस्कार जीतना ‘भविष्य के प्राप्तकर्ताओं के लिए स्तर बढ़ाता है।’

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प्रशस्तिपत्र यानि प्रशंसा सर्टिफेकिट में लिखा गया है कि मोदी की लीडरशिप में भारत को अब नवाचार और मूल्यवर्धित विनिर्माण(मेक इन इंडिया) के साथ आईटी, अकांउटिंग और फाइनेंस जैसी प्रोफेशनल सेवाओं के केंद्र में एक नई पहचान मिली है. इसके अलावा सर्टिफिकेट पत्र में ये भी कहा गया है कि उनकी विजनरी यानि दूरदर्शी नेतृत्व के कारण सामाजिक लाभ और वित्तीय समावेशन के लिये विशिष्ट पहचान संख्या, आधार सहित डिजिटल क्रांति (डिजिटल इंडिया) हो सकी है.

पीएमओ यानि प्रधानमंत्री कार्यालय से सोमवार को ट्वीट किया गया कि ये अवॉर्ड पीपुल,प्रॉफिट और प्लानेट इन तीन आधार रेखाओं पर केंद्रित करके दिया गया है.

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अवॉर्ड पर बवाल क्यों?

प्रधानमंत्री को ये अवॉर्ड मिलने के बाद काफी विवाद हुआ. राहुल गांधी ने तंज कसते हुए ट्वीट किया कि मोदी को फिलिप कोटलर प्रेसिडेंशियल अवार्ड के लिए बधाई देता हूं. ये पुरस्कार इतना प्रसिद्ध है कि इसकी कोई ज्यूरी नहीं है, ये अवार्ड पहले किसी को नहीं दिया गया है. ये पुरस्कार अलीगढ़ के एक गुमनाम कंपनी द्वारा समर्थित है.

हालांकि इस ट्वीट के बाद स्मृति ईरानी ने भी राहुल गांधी को जवाब देते हुए लिखा कि वो परिवार अवॉर्ड पर सवाल उठा रहा है जो खुद को भारत रत्न से सम्मानित कराता है.

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क्या फर्जी है ये अवॉर्ड?

भले ही राहुल गांधी ने कटाक्ष के तौर पर ट्वीट किया हो लेकिन उनका ये ट्वीट झूठ नहीं है क्योंकि जिसक ससलिंस रिसर्च इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट से इस अवॉर्ड को जुड़ा हुआ बताया जा रहा है, उस कंपनी की कोई भा आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है. इस कंपनी का न कोई टेलिफोन नंबर है और न ही कोई वेबसाइट उपलब्ध है.

हालांकि इंडिया टूडे ग्रुप ने इस अवॉर्ड की सच्चाई पता लगाने के लिए फिलिप कोटलर से ईमेल कॉन्टेक्ट किया तो उन्होंने बताया कि ये अवॉर्ड उनके ही द्वारा एन्डोर्स किया गया है और उन्हें इसकी पूरी जानकारी है.

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