‘अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला’ जिसमें हमारे नेताओं ने खाई 350 करोड़ की रिश्वत

वीवीआईपी हेलिकॉप्टर अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले के बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स को मंगलवार देर रात भारत वापस लाया गया है. मिशेल को यूएई से प्रत्यार्पण करके भारत वापस लाया गया है. इसके बाद सीबीआई के अधिकारीयों को उम्मीद है कि इस वीवीआईपी घोटाले की जांच में तेजी आएगी.

जानिए क्या है अगस्ता हेलिकॉप्टर डील

मनमोहन सिंह सरकार ने साल 2010 में अगस्ता वेस्टलैंड के साथ 12 हेलिकॉप्टरों की खरीद को लेकर एक डील साइन की थी. यह वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों भारतीय वायुसेना को देने के लिए खरीदे जा रहे थे. इन हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री जैसे वीवीआईपी की उड़ान के लिए किया जाना था.

साल 2014 में मनमोहन सिंह सरकार ने जनवरी 3600 करोड़ रुपये के करार को रद्द कर दिया. आरोप लगा कि इस डील को फाइनल करने के लिए भारत के राजनेताओं समेत कई अधिकारियों को करीब 350 करोड़ रुपये की घूस दी गई. भारत सरकार इस डील के लिए 30 फीसदी भुगतान कर चुकी थी.

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रक्षा मंत्रायल ने इस मामले की सीबीआइ जांच के लिए आदेश दिए. घोटाले में तत्कालीन भातरीय वायु सेना अध्यक्ष एस पी त्यागी का भी नाम सामने आया था. इस वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदे में त्यागी समेत 18 लोगों को आरोपी बनाया गया है.

यह मामला तब सुर्खियों में आया था जब इटली की पुलिस ने फिनमेकानिका के पूर्व मुखिया ओरसी को गिरफ्तार किया था. अगस्ता वेस्टलैंड फिनमेकानिका की सबसिडरी कपंनी है. ओरसी पर आरोप था कि उसने भारत सरकार से वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों के इस सौदे को हासिल करने के लिए कथित तौर पर 362 करोड़ रुपए की रिश्वत दी थी. यह रकम क्रिश्चियन को दिए गए थे.

क्रिश्चियन  पर आरोप है कि उसने घूस की रकम ट्रांसफर करने के लिए दो कंपनियों ग्लोबल सर्विसेज एफजेडई, दुबई और ग्लोबल ट्रेड एंड कॉमर्स सर्विसेज, लंदन का इस्तेमाल किया था.

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