पाकिस्तान में इन दिनों हज के ख़र्च में हुई बढ़ोत्तरी का मुद्दा छाया हुआ है. इमरान खान की सरकार ने सत्ता में आने के बाद इस हफ़्ते अपनी पहली हज पॉलिसी जारी की. इसके तहत अब एक पाकिस्तानी को इस साल हज पर जाने के लिए चार लाख 76 हज़ार पाकिस्तानी रुपए देने होंगे जबकि पिछले साल ये रकम दो लाख 80 हज़ार रुपए थे. इसको लेकर पाकिस्तानी संसद में खूब हंगामा हुआ.
अखबार नवा-ए-वक्त के अनुसार विपक्षी पार्टी जमात-ए-इस्लामी के एक सांसद मुश्ताक अहमद ने कहा कि सरकार ने हज यात्रियों पर ड्रोन हमला किया है.
सांसद ने कहा कि सरकार ने हज पर कोई सब्सिडी नहीं दी. उनके अनुसार धार्मिक मामलों के मंत्री ने अपनी रिपोर्ट में हज सब्सिडी देने की अपील की थी. लेकिन इमरान खान की सरकार ने अपने ही मंत्री की सिफारिश को ठुकरा दिया.
अखबार लिखता है कि सांसद मुश्ताक अहमद ने सरकार पर चुटकी लेते हुए कहा, ”मदीना की रियासत कायम करने का दावा करने वाले लोग, अब लोगों को मक्का और मदीना जाने से रोक रहे हैं.”
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने पहले भाषण में इमरान ने कहा था कि इस्लाम के पैगम्बर हज़रत मोहम्मद ने जिस तरह से मदीना में शासन किया था उसी तर्ज पर वो पाकिस्तान को चलाना चाहते हैं.
विपक्ष के हमले का जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री अली मोहम्मद ख़ान ने कहा कि सऊदी अरब में ही हज का खर्च बढ़ गया है, इसलिए हज यात्रियों से ज़्यादा पैसे लिए जा रहे हैं. लेकिन अखबार जंग के अनुसार धार्मिक मामलों के मंत्री नूरुल हक कादरी ने कहा कि ”रियासत-ए-मदीना का मतलब ये नहीं कि लोगों को मुफ़्त में या सब्सिडी देकर हज कराया जाए.” उन्होंने कहा कि सब्सिडी लेकर हज पर जाना हज की बुनियादी भावना के ही खिलाफ है.