विश्वजीत भट्टाचार्य: मध्यप्रदेश के सीएम का पद संभालने के एक घंटे में कमलनाथ ने किसानों की कर्जमाफी के फाइल पर दस्तखत कर दिए. इसको खूब प्रचारित भी किया. बताया कि 10 दिन में कर्जमाफी का वादा एक घंटे में पूरा कर दिया, लेकिन हकीकत कुछ और है. ये हकीकत मध्यप्रदेश के अधिसंख्य किसानों को फायदा न पहुंचने की है.

मध्यप्रदेश में चुनावी संग्राम के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने वादा किया था कि सरकार बनने के 10 दिन के भीतर किसानों का कर्ज माफ होगा. जबकि, सरकार बनने के एक घंटे के भीतर कर्जमाफी के जिस फाइल पर कमलनाथ ने साइन किए, उससे 2 लाख तक का ही कर्ज माफ होगा. यानी सारे किसान कर्जमाफी के दायरे में नहीं हैं.

मध्यप्रदेश की पिछली बीजेपी सरकार के दौरान दिए गए आंकड़ों के मुताबिक राज्य में खेती करने वालों की तादाद तीन करोड़ से ज्यादा है. शिवराज सरकार में सूचना मंत्री रहे नरोत्तम मिश्र का कहना है कि कर्जमाफी का फायदा करीब 35 लाख किसानों को ही मिला है और 2.65 करोड़ से ज्यादा किसानों को कांग्रेस सरकार के मुखिया कमलनाथ ने ठेंगा दिखा दिया है.

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बता दें कि चुनाव हारने के बाद पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने एलान किया था कि वो अब चौकीदार की भूमिका निभाएंगे. वो नजर रखेंगे कि कांग्रेस सरकार लोगों से किए वादे पूरे कर रही है या नहीं. अब नरोत्तम का बयान साफ कर रहा है कि किसान कर्जमाफी के मुद्दे पर बीजेपी बड़ा आंदोलन शुरू करेगी. वहीं, यूपी और बिहार के लोगों पर मध्यप्रदेश में नौकरियां हड़प लेने का बयान देकर कमलनाथ ने कांग्रेस की किरकिरी करानी शुरू कर दी है. ये मसला भी सोशल मीडिया के जरिए खूब गर्मा रहा है.

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