नई दिल्ली: विपक्षी दलों की काउंटिंग में कम से कम 50 फीसदी वीवीपैट पर्चियों के EVM से मिलान की मांग वाली याचिका पर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि इससे चुनाव के नतीजे आने में काफी समय लग सकता है. आयोग ने कहा कि इस सिस्टम के लिए न सिर्फ काफी लोगों की जरुरत पड़ेगी बल्कि काउंटिंग हॉल की भी दरकार होगी. और इनकी राज्य में पहले से ही काफी कमी है.
चुनाव आयोग की अधिसूचना के अनुसार, इस बार लोकसभा चुनाव सात चरणों में होने हैं. जबकि नतीजे 23 मई को आने हैं. ऐसे में अगर हर संसदीय या विधानसभा क्षेत्र की 50 प्रतिशत वीवीपीएटी पर्चियों का मिलान किया जाएगा, तो इससे गिनती करने में काफी समय लगेगा. जिसके चलते नतीजे 23 मई की जगह 28 मई तक आ पाएंगे.
दरअसल, विपक्ष के करीब 21 नेताओं ने वीवीपीएटी पर्चियों के ईवीएम मशीनों के साथ मिलान की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. विपक्ष की मांग है कि एक निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 50 फीसदी वीवीपीएटी पर्चियों का मिलान किया जाए. इसपर कोर्ट ने चुनाव आयोग से विचार करने के लिए कहा था.
शुक्रवार को हुई सुनवाई में यह फैसला लिया गया कि कोर्ट अगली सुनवाई 1 अप्रैल को करेगी. इससे पहले सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने EVM और वीवीपीएटी मामले को लेकर आयोग से पूछा था कि अगर कोर्ट कोई फैसला देता है तो आयोग को उसे मानने में क्या परेशानी है. इसका कोर्ट ने आयोग से गुरुवार तक जवाब मांगा था.
वहीं आयोग ने मांग का विरोध करते हुए कहा था कि इसे बढ़ाने की कोई जरुरत नहीं है. आयोग ने दलील दी थी कि अभी प्रति विधानसभा दर से वीवीपीएटी मिलान होता है और उसमें कभी कोई अंतर नहीं पाया गया है.
आयोग ने कहा कि अभी फिलहाल कोई मकेनिकल सिस्टम नहीं है. क्योंकि वीवीपैट से निकल रही स्लिप पर कोई बारकोड नहीं लगा है. ऐसे में लोकसभा के नतीजे 23 और विधानसभा के नतीजे 30 या 31 से पहले तक नहीं आ पाएंगे.