मोदी के चाहने वालों ने 2014 में ‘हर हर मोदी, घर-घर मोदी’ कैंपेन चलाया था। जिसकी बदौलत बीजेपी ने बंपर सीटें पाकर केंद्र में सरकार बनाई थी। 2014 का परिणाम 2019 में दोहराने के लिए बीजेपी फिर एक बार ऐसे ही नये फॉर्मूले पर सरकार बनाने की तैयारी कर रही है। बीजेपी ने इस बार ‘पहला वोट मोदी के नाम’ कैंपेन चलाने का प्लान बनाया है।
‘पहला वोट मोदी के नाम’ उस वोटर के लिए है, जो पहली बार लोकसभा चुनाव में वोट डालेंगे। यानी मतलब साफ है, बीजेपी का लक्ष्य युवा हैं, जो 18 साल के होने के बाद पहली बार लोकसभा के चुनाव में वोट डालेंगे। बीजेपी ने यूं तो इस बार ‘सबका साथ, सबका विकास’ को अपना नारा बनाया है। लेकिन उसका पूरा जोर आगामी लोकसभा चुनाव में युवा, महिलाएं, किसान, दलित, सैनिकों पर है।
राष्ट्रीय अधिवेशन में ऐलान
‘पहला वोट मोदी के नाम’ कैंपेन की शुरुआत 11 और 12 जनवरी को दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान की जाएगी। जिसमें पूरे देश से बीजेपी के पदाधिकारी और प्रतिनिधि पहुंचेंगे। जहां दो दिन पीएम मोदी के साथ उनकी पूरी कैबिनेट और पार्टी के आलाधिकारी मौजूद रहेंगे।
देश भर में चलेंगे नए अभियान
इसके साथ ही पार्टी इसबार किसानों, आदिवासियों, दलितों, महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए कैंपेन चलाएगी। जिसमें देश तमाम हिस्सों में किसान कुंभ, बिरसा ग्राम सभा, भीम समरसता भोज, उज्जवला रसोई कार्यक्रमों का आयोजन करेगी।
‘नेशन विथ नमो’ दिलाएगा वोट
पार्टी इसके साथ ही 12 जनवरी को ‘नेशन विद नमो’ अभियान का भी औपचारिक ऐलान करेगी। ‘नेशन विद नमो वॉलन्टियर’ के जरिये देश में 50 लाख युवाओं को पार्टी के साथ जोड़ने का लक्ष्य है। पार्टी 15 जनवरी से 10 फरवरी तक देशभर के निजी और सरकारी यूनिवर्सिटी में युवा संसद कार्यक्रम आयोजित करेगी. भाजपा ने पहली बार वोट डालने वाले युवाओं पर खास जोर दिया है और इन्हें पार्टी से जोड़ने के लिये ‘पहला वोट मोदी के नाम’ पहल शुरू की है.
पहला वोट लेने की तैयारी
ध्यान रखने वाली बात ये है कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में नई सदी यानी सन 2000 में जन्म लेने वाले जो 2019 के चुनाव में वोट डालने वालों की लाइन में होंगे उनका उल्लेख किया था। जिनपर बीजेपी के नेताओं को खास ध्यान देंगे।
तीन राज्यों की हार से चौकन्ना
गौर करने वाली बात ये है, कि बीजेपी को तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में भले ही हार मिली हो। पर बीजेपी इन राज्यों की 65 सीटों पर जीत दर्ज करने की तैयारी में है। जिनमें 2014 में 62 सीटों पर जीत मिली थी।
गैर हिंदी राज्यों से करेंगे भरपाई
अनुमान है, कि विधानसभा चुनाव की हार का असर 2019 के चुनावों में भी पड़ सकता है। ऐसे में बीजेपी पहले से ही ध्यान देने की तैयारी में है। तीन हिंदी भाषा राज्यों में हार की भरपाई के लिए वो गैर हिंदी प्रदेशों में भी ध्यान लगाएगी। ताकि अगर यहां अपेक्षा के मुताबिक वोट नहीं मिले तो उसकी भरपाई दूसरे राज्यों से की जा सके। इसके लिए एक व्यापक रणनीति तैयार की गई है। जिसमें केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में मोदी चुनाव की घोषणा से पहले ही योजनाओं का शिलान्यास के साथ रैलियां करेंगे।