जन्मदिन के मौके पर मुलायम ने ठोंकी ताल, मेरे बिना दिल्ली में नहीं बना पाएगा कोई सरकार

सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव गुरुवार को 80 साल के हो गए। जिनका जन्मदिन बेटे अखिलेश और शिवपाल यादव ने धूम धाम से मनाया। यूपी की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने वाले मुलायम सिंह यादव ने जन्मदिन के मौके पर फिर पीएम बनने का ख्वाब देखते हुए, केंद्रीय राजनीति में ताल ठोकने का इशारा किया है।

इस मौके पर उन्होंने कार्यकर्ताओं को कहा मेरे मंडल स्तर पर कार्यक्रम लगाओ। मैं ऐसी स्थिति पैदा कर दूंगा की मेरे बिना कोई दिल्ली में सरकार नहीं बना पाएगा।

पीएम बनने की उम्मीद पाले हैं मुलायम

मौका जन्मदिन का था, लेकिन कई सालों से केंद्र की राजनीति कर रहे मुलायम के मन में पीएम न बन पाने की टीस सालती रहती है। अब जबकि एक बार फिर लोकसभा चुनाव आ रहा है। देश भर में मोदी विरोधियों का मेला लगता देख रहे हैं। ऐसे में अखिलेश जहां गठबंधन के लिए तैयार बैठे है, लेकिन बात किसी मुकाम पर नहीं पहुंच पा रही है। वहीं दूसरी तरफ मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश के आगे आकर खुद मोर्चा संभलने के लिए उतर गए हैं।

अखिलेश को पीछे कर खुद संभालेंगे मोर्चा

मुलायम का ये बयान ऐसे वक्त में आया है। जब महागठबंधन बनने की स्थिति बन नहीं पा रही। माया, अखिलेश को कांग्रेस घास नहीं डाल रही वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन में देश भर में माहौल बनाने का जिम्मा उठाने वाले टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू, घूम-घूम कर सबको मनाने और एक मंच पर लाने का प्रयास कर रहे हैं।

माया से हाथ मिलाएंगे मुलायम?

अब ऐसे में सवाल ये भी खड़ा हो गया है, कि अखिलेश ने बुआ मायावती से हाथ मिलाकर मुलाकात और कई बार बातचीत कर चुके हैं। तो क्या मुलायम भी अखिलेश की तरह ही मायावती को भाव देंगे। या एकला चलो की राह पर चलकर अपना नया दांव चलेंगे।

ऐसा रहा मुलायम का चुनावी सफर

यूपी के जिला इटावा के सैफई गांव में पैदा हुए, मुलायम सिंह यादव पहलवान थे। कुछ दिनों तक शिक्षक रहे और फिर जेपी लोहिया के साथ राजनीति की राह पकड़ी। पहली बार 1967 में विधायक चुने गए और उसके बाद 7 बार विधायक रहे। वह तीन बार (1989 से 1991, 1993 से 1995, 2003 से 2007) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और 1996 से 1998 तक केंद्र में रक्षामंत्री भी रहे। वह पहली बार 1977 में राज्य मंत्री बने। 1980 में वह लोकदल पार्टी के अध्यक्ष बने जो बाद में जनता दल का हिस्सा बन गई। 1982 में उन्हें यूपी विधानसभा में विपक्ष का नेता चुना गया। इस पद पर वह 1985 तक रहे। यहां से उनकी राजनीति ने नया मोड़ लिया। जब उन्होंने चौधरी चरण सिंह की लोकदल पार्टी को तोड़कर उनकी सियासत पर कब्जा कर लिया। अलग मोर्चा बनाते हुए मुलायम ने क्रांतिकारी मोर्चा पार्टी लॉन्च कर दी।

यूं बने तीन बार मुख्यमंत्री

मुलायम अपने मन की राजनीति करने और किसी को भी दांव देने में माहिर माने जाते हैं। नवंबर 1990 में वीपी सिंह की सरकार गिरने के बाद मुलायम ने चन्द्र शेखर के जनता दल का दामन थाम लिया और कांग्रेस का समर्थन लेकर मुख्यमंत्री बने रहे। अप्रैल 1991 में कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया तो उनकी सरकार गिर गई। जिसके बाद मुलायम हमेशा कांग्रेस विरोध की राजनीति करते रहे। कांग्रेस के सरकार गिराने के बाद मुलायम ने 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की। 1993 में हुए विधानसभा चुनावों के लिए उन्होंने मायावती की बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन किया और बीजेपी को हरा सीएम की कुर्सी पर विराजमान हो गए।

2002 में बीजेपी और बसपा की सरकार गिरने के बाद, 2003 में मुलायम ने छोटी पार्टियों और निर्दलीय विधायकों की मदद से तीसरी बार यूपी के मुख्यमंत्री बने। इस दौरान वह लोकसभा सांसद थे। सीएम बने रहने के लिए जनवरी 2004 में गुन्नौर से उपचुनाव लड़ा और रिकॉर्ड अंतर के साथ जीत दर्ज की। मुलायम को 94 प्रतिशत वोट मिले थे। आज वो आजमगढ़ से लोकसभा सांसद है।

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