सिसोदिया के खिलाफ CBI के पास कई पुख्ता सबूत, 70 मोबाइल बदले, कंप्यूटर से डिलीट की कई फाइलें..

सिसोदिया के खिलाफ CBI के पास कई पुख्ता सबूत, 70 मोबाइल बदले, कंप्यूटर से डिलीट की कई फाइलें..

 दिल्ली की विवादित शराब नीति केस में सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया है। उनकी गिरफ्तारी भारी राजनीतिक ड्रामे के बीच हुई। 26 फरवरी रविवार को सिसोदिया को सीबीआई मुख्यालय में पूछताछ में लिए बुलाया गया था। करीब 8 घंटे की पूछताछ के बाद सिसोदिया को सीबीआई ने अरेस्ट किया।  जांच एजेंसी से जुड़े सूत्रों की मानें तो सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई ने कई पुख्ता सबूत जमा किए हैं।

इस शराब नीति में गड़बड़ी को लेकर आरोप है कि सिसोदिया ने उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना शराब नीति में बदलाव किया। कोरोना महामारी के नाम पर शराब कारोबारियों के 144.36 करोड़ रुपए की टेंडर लाइसेंस फीस माफ की। आरोप है कि इससे शराब ठेकेदारों को फायदा पहुंचा। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि इससे मिले
कमीशन का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव में किया।

सीबीआई ने रद्द की जा चुकी शराब नीति में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में गिरफ्तार सिसोदिया के कंप्यूटर से डिलीट की गई फाइलों और डेटा को फिर से हासिल कर लिया है। जनवरी में सीबीआई ने कंप्यूटर सीज किया था। यह पता चलने पर कि कुछ डेटा हटा दिया गया है, इसने कंप्यूटर को इसे पुन: प्राप्त करने के लिए फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में भेज दिया। अब फॉरेंसिक विभाग ने उन्हें डेटा और फाइलों के साथ एक रिपोर्ट भेजी है। एफएसएल रिपोर्ट बताती है कि इन फाइलों को शुरू में व्हाट्सएप के माध्यम से साझा किया गया और फिर मनीष सिसोदिया के कंप्यूटर में सहेजा गया। बाद में इन्हें हटा दिया गया। कंप्यूटर सिसोदिया के कार्यालय से जब्त किया गया था।

मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी में दिल्ली के बड़े बिजनेसमैन दिनेश अरोड़ा की बड़ी भूमिका कही जा रही है। सिसोदिया के बेहद करीबी अरोड़ा सरकारी गवाह बन गए। अरोड़ा ने ही सिसोदिया, विजय नायर और आप के कई बड़े नेताओं के नाम लिए। CBI के सूत्रों के मुताबिक सिसोदिया को सबूत नष्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उन पर कई फोन को नष्ट करने का आरोप है।

प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने दिसंबर 2022 में दिल्ली की कोर्ट को बताया था कि सिसोदिया और अन्य अरोपियों ने 170 बार मोबाइल फोन बदले और फिर इन्हें तोड़ दिया। इससे 1.38 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। एक्साइज स्कैम में सबूतों को बड़े पैमाने पर नष्ट किया गया।

ED ने कहा था कि इस मामले में प्रमुख सबूत मोबाइल फोन में थे और इस मामले में कम से कम 36 आरोपियों ने मई से अगस्त 2022 तक 170 मोबाइल का यूज किया और उन्हें बाद में तोड़ दिया। ED ने 17 फोन बरामद किए। हालांकि, उसमें भी डेटा को डिलीट कर दिया गया था।

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