मनमोहन सरकार हर महीने इंटरसेप्ट करती थी 9000 फोन और 500 ईमेल

केंद्र सरकार पर कंप्यूटर की निगरानी को लेकर जो कांग्रेस कल तक सरकार पर हमलावर था. वहीं आज इसमें खुद घिरती नजर आ रही है. दरअसल, एक आरटीआई के जवाब में इस बात का खुलासा हुआ है कि मनमोहन सरकार साल 2013 में हर महीनें लगभग 9 हजार फोन और 500 ईमेल लोगों के इंटरसेप्ट करती थी.

2013 में फाइल एक आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने बताया कि केंद्र सरकार से हर महीने 7500 से 9000 फोन इंटरसेप्ट करने के आदेश मिलते थे. यह आरटीआई नवबंर महीने में लगाई गई थी. वहीं इसी मामले पर एक और आरटीआई फाइल की गई थी. गृह मंत्रायल को अगस्त 2013 में फाइल की गई आरटीआई के दिए गए जवाब की रिपोर्ट की माने तो हर महीने केंद्र सरकार से करीब 300 से 500 फोन और ईमेल इंटरसेप्ट करने के आदेश मिलते थे. यह आरटीआई प्रोसेनजित मंडल ने दायर की थी.

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वहीं जो आरटीआई नवबंर में फाइल की गई थी उसमें उन ऐंजेसियों के भी नाम है जिनके पास इसके अधिकार थे. आरटीआई की रिपोर्ट के अनुसार इंटेलिजेंस ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स,  डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस, सीबीआइ, एनआइए, कैबिनेट सेक्रेटेरिएट (रॉ), डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस, दिल्ली के कमिश्नर ऑफ पुलिस शामिल थे. आपको बता दे, केंद्र की मोदी सरकार ने भी इन्हीं सभी एंजेसिंयों को ही अधिकार दिए है.

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वहीं आरटीआई में इस बात की खुलासा भी हुआ है कि यह आईटी एक्ट 1885 के तगत हो रहा था. इस एक्ट को साल 2007 में  सोशोधित किया गया था.

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