सवर्ण आरक्षण: कई राज्य सरकारें पहले कर चुकी हैं कोशिश, मोदी की राह भी मुश्किल

साल 2019 सियासी नजर से बहुत ही अहम साल है. लोकसभा चुनाव जल्द ही होने वाले हैं और उससे पहले मोदी सरकार ने एक बड़ा पासा फेंका है और ये है कि सवर्ण जातियों को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला. जी हां, सूत्रों की मानें तो कैबिनेट की बैठक में सवर्ण जातियों के 10 फीसदी आरक्षण वाले फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है. कल यानि मंगलवार को ये बिल संसद में पेश किया जाएगा.

आपको बता दें कि कई राज्य सरकारें पहले भी इस दिशा में कदम उठा चुकी हैं. लेकिन कोई सफलता हासिल नहीं हो पाई. मोदी सरकार के लिए ये राह आसान नहीं होगी. क्योंकि इस बिल को संसद के दोनों सदनों में पास करना होगा. अगर लोकसभा से ये बिल पास हो भी जाता है. लेकिन राज्यसभा में इस बिल को पारित करने के लिए मोदी सरकार को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. क्योंकि राज्यसभा में मोदी सरकार के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं है.

कांग्रेस ने की थी 10 फीसदी मांग

6 सितंबर को जब मोदी सरकार के खिलाफ सवर्णों ने एससी-एसटी संशोधन अधिनियम 2018 के विरोध में भारत बंद का ऐलान किया था, तब आरक्षण का सवाल भी उठाया गया था. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बयान दिया था कि गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए.

लोजपा ने मांगा 15 फीसदी सवर्ण आरक्षण

मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान भी सवर्ण आरक्षण के पक्ष में रहे हैं. उन्होंने पटना में गरीब सवर्णों के पक्ष में 15 फीसदी आरक्षण देने की बात कही थी. वह सरकार के कितना साथ हैं यह देखना होगा.

आठवले ने 25 फीसदी आरक्षण की मांग

आरपीआई के अध्यक्ष और मोदी सरकार में मंत्री रामदास आठवले भी लगातार गरीब सवर्ण आरक्षण की मांग करते रहे हैं. आठवले ने 25 फीसदी आरक्षण की वकालत की थी. उन्होंने कहा था कि सवर्णों में सभी आर्थिंक रूप से सम्पन्न नहीं होते, इसलिए सवर्ण जातियों को 8 लाख रुपये की क्रीमीलेयर लगाकर 25 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए.

कब-कब हुआ है खारिज?

– अप्रैल, 2016 में गुजरात सरकार ने सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की थी. सरकार के इस फैसले के अनुसार लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले परिवारों को इस आरक्षण के अधीन लाने की बात कही गई थी. हालांकि अगस्त 2016 में हाईकोर्ट ने इसे गैरकानूनी और असंवैधानिक बताया था.

– सितंबर 2015 में राजस्थान सरकार ने अनारक्षित वर्ग के आर्थिक पिछड़ों को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 14 फीसदी आरक्षण देने का वादा किया था. हालांकि दिसंबर, 2016 में राजस्थान हाईकोर्ट ने इस आरक्षण बिल को रद्द कर दिया था. ऐसा ही हरियाणा में भी हुआ था.

– 1978 में बिहार में पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने आर्थिक आधार पर सवर्णों को तीन फीसदी आरक्षण दिया था. हालांकि बाद में कोर्ट ने इस व्यवस्था को खत्म कर दिया.

– 1991 में मंडल कमीशन रिपोर्ट लागू होने के ठीक बाद पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया था और 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की थी. हालांकि 1992 में कोर्ट ने उसे निरस्त कर दिया था.

अभी किस को कितना आरक्षण?

साल 1963 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आमतौर पर 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता है. पिछड़े वर्गों को तीन कैटेगरी अनुसूचित जाति (एससी)अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में बांटा गया है.

अनुसूचित जाति (SC)- 15 %

अनुसूचित जनजाति (ST)- 7.5 %

अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)- 27 %

कुल आरक्षण-     49.5 %

राज्यसभा सांसद संजय सिंह  का बयान

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा, ‘आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण जातियों के लिये मोदी सरकार ने 10% आरक्षण का स्वागत योग्य चुनावी जुमला छोड़ दिया है,ऐसे कई फ़ैसले राज्यों ने समय-समय पर लिये लेकिन 50% से अधिक आरक्षण पर कोर्ट ने रोक लगा दी क्या ये फ़ैसला भी कोर्ट से रोक लगवाने के लिये एक नौटंकी है’. उनके इस ट्वीट का अरविंद केजरीवाल ने भी समर्थन किया है.

क्या कहता है संविधान?

संविधान के अनुसारआरक्षण का पैमाना सामाजिक असमानता है और किसी की आय और संपत्ति के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाता है. संविधान के अनुच्छेद 16(4) के अनुसारआरक्षण किसी समूह को दिया जाता है और किसी व्यक्ति को नहीं. इस आधार पर पहले भी सुप्रीम कोर्ट कई बार आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के फैसलों पर रोक लगा चुका है. अपने फैसलों में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाना समानता के मूल अधिकार का उल्लंघन है.

इस बिल के मुताबिक सवर्ण जाति के लोग जो आर्थिक रुप से कमजोर हैं, उन्हें आरक्षण दिया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक आरक्षण का कोटा मौजूदा 49.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 59.5 प्रतिशत किया जाएगा. इसमें से 10 फीसदी कोटा आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए होगा. बता दें कि लंबे समय से आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लिए आरक्षण की मांग की जा रही थी.

कौन लोग आएंगे आरक्षण की कैटेगरी में

  • जिनकी सालाना आय 8 लाख से कम हो

  • जिनके पास 5 एकड़ से कम खेती की जमीन हो

  • जिनके पास 1000 स्क्वायर से कम फीट का घर हो

  • जिनके पास निगम की 100 गज से कम अधिसूचित जमीन हो

  • जिनके पास 200 गज से कम की निगम की गैर-अधिसूचित जमीन हो

इस आरक्षण को पाने के लिए सवर्ण जाति के लोगों को कागजात दिखाने होंगे.

जरुरी डॉक्यूमेंट्स

  • आय प्रमाण पत्र

  • जाति प्रमाण पत्र

  • बीपीएल कार्ड

  • पैन कार्ड

  • आधार कार्ड

  • बैंक पास बुक

  • इनकम टैक्स रिटर्न

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