नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को हुए बड़े आत्मघाती हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 37 जवान शहीद हुए हैं जबकि कई जवान अब भी घायल हैं। इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली है। बता दें, जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना मौलाना मसूद अजहर ने की है। भारत के अलावा यह आतंकी संगठन अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में भी अपनी आतंकी गतिविधियों के चलते जाना जाता है। मसूद भारत के मोस्ट वांटेड आतंकियों में से एक है। आइए जानते हैं मौलाना मसूद अजहर के बारे में…
पुलवामा में आतंकी हमले की जिम्मेदारी लाने वाले जैश-ए-मोहम्मद का आका मुखिया मौलाना मसूद है। मसूद का जन्म 1968 में पाकिस्तान के बाहावलपुर में हुआ था। वो ग्यारह भाई-बहनों में 10वें नंबर का है। मसूद के पिता सरकारी स्कूल में हेडमास्टर थे। मौलाना मसूद अजहर की पढ़ाई कराची के जामिया उलूम अल इस्लामिला से हुई है। आपको बता दें कि अजहर का कनेक्शन हरकत-उल अंसार से भी रहा है। पहली बार अजहर को 1994 में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि कंधार विमान कांड के बाद भारतीय जेलों में बंद मौलाना मसूद अजहर, मुश्ताक ज़रगर और शेख अहमद उमर सईद जैसे चरमपंथी नेताओं की रिहाई की मांग की गई और छोड़ दिया गया।
क्या था कंधार विमान कांड?
24 दिसंबर 1999 को 5 हथियारबंद आतंकियों ने 178 यात्रियों के साथ इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी- 814 को हाईजैक कर लिया था। ये आतंकी हरकत-उल-मुजाहिद्दीन नाम के संगठन के थे। इन्होंने भारत सरकार के सामने यात्रियों के बदले में 3 आतंकियों को रिहा करने की मांग की। भारत सरकार को इन आतंकियों को रिहा करना पड़ा। जिन 3 आतंकियों को भारत ने रिहा किया था, उनमें से एक मसूद अजहर भी था। रिहाई के बाद ही कश्मीर में भारतीय सेना से लड़ने के लिए मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद नाम के एक संगठन की नींव रखी जिसका मकसद था भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देना। साल 2001 में भारतीय संसद में हमला हुआ जिसके पीछे जैश-ए-मोहम्मद का ही हाथ था। पाकिस्तान में उसे गिरफ्तार कर लिया गया और लेकिन उसके खिलाफ सबूत नहीं दिए जाने से लाहौर हाइकोर्ट ने उसे छोड़ने के आदेश दिए गए।
अमेरिका भी अछूता नहीं रहा
साल 2002 में अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या की गई। इस घटना के बाद अमेरिका ने मसूद अजहर को मांगा। साल 2003 में परवेज मुशर्रफ पर भी आत्मघाती हमला हुआ। इसके बाद उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। दबाव बढ़ने के बाद उसे नजरंबद और हिरासत में ले लिया गया। लेकिन अजहर वहां से भी बच निकलने में कामयाब रहा।
कब-कब किए आतंकी हमले
जब जैश-ए-मोहम्मद नाम का आतंकी संगठन बनाया गया उसके दो महीने बाद ही श्रीनगर के बादामी बाग में भारतीय सेना के मुख्यालय में हमला किया गया। यह एक आत्मघाती हमला था। हालांकि हमला यहीं रुका नहीं इसके बाद आतंकी संगठन ने जम्मू-कश्मीर सचिवालय की इमारत पर भी हमला किया गया। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई थी। साल 2001 में संसद और पठानकोट में किए गए हमलों में भी इस आतंकी संगठन का हाथ था। इस हमले में 18 सैनिक शहीद हुए थे।
चीन हर बार अड़ाता रहा अपनी टांग
पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय आतंकियों की सूची में शामिल कराने की कोशिशों पर चीन हर बार कोई ना कोई रोक लगता रहा है। चीन का कहना है कि अजहर के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। इसके अलावा चीन ने संयुक्त राष्ट्र में अजहर को वैश्विक आतंकवादी की सूची में डालने की अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन की कोशिश में रुकावट डाली थी।