राममंदिर को लेकर मध्यस्थता करने वालों के कई प्रयास अब तक कामयाब नहीं हुए। पहले श्री श्री रविशंकर ने मध्यस्थता करने की कवायद की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। अब राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग मामले को कोर्ट के बाहर सुलझाने का प्रयास करने जा रहा है। जिसके लिए दोनों पक्षों से जल्द बातचीत शुरु करने की कवायद होगी।
हालांकि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ने साफ किया है कि वो शीर्ष अदालत के अंतिम फैसले के पक्ष में है, लेकिन अगर अदालत से बाहर ही समझौता हो जाता है, तो देश में अमन-चैन कायम रहेगा। इससे पहले आयोग ने सर्वोच्च न्यायलय में राम मंदिर निर्माण को लेकर जल्द सुनवाई के लिए याचिका दायर करने का फैसला किया था।
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अल्पसंख्यक करेगा मध्यस्थता
अल्पसंख्यक आयोग के चेयरपर्सन गैरुल हसन रिजवी ने बुधवार को आयोग के सदस्यों के साथ बैठक में राममंदिर को लेकर चर्चा की। जिसमें ये निर्णय हुआ की संविधान के तीनों स्तंभों विधानमंडल, कार्यपालिका और न्यायपालिका को मामले के जल्द निपटारे के लिए शांतिपूर्वक प्रयास करने चाहिए। रिजवी ने बताया कि आयोग के सभी सदस्यों के साथ बैठक में उन्हें यह अधिकार दिया गया कि राम मंदिर मामले में सभी पक्षकारों से बातचीत करें और मध्यस्थता की भूमिका निभाएं।
दोनों पक्षों से मिलकर बनाएंगे रजामंदी
रिजवी के मुताबिक वे जल्द ही राम मंदिर के शीघ्र और शांति पूर्वक निर्माण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में इस विवाद में शामिल सभी प्रमुख पक्षकारों मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड और विश्व हिन्दू परिषद से बातचीत करेंगे।
मुसलमान घबराया और सहमा हुआ है- रिजवी
रिजवी ने अपनी निजी राय के तौर पर कहा कि अयोध्या में मंदिर है, वहां पूजा रही है और वहां भव्य मंदिर का निर्माण होना चाहिए। मंदिर-मस्जिद विवाद के चलते देश का मुसलमान घबराया और सहमा हुआ है, वह मंदिर—मस्जिद के नाम पर और दंगा-फसाद नहीं चाहता।
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100 करोड़ हिंदू बाबरी मस्जिद बनने देंगे
मीडिया से बातचीत के दौरान रिजवी ने कहा कि
”मुस्लिम पक्ष को हकीकत से रूबरू होना चाहिए कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुस्लिमों के पक्ष में आता है, तो क्या 100 करोड़ हिंदू वहां बाबरी मस्जिद बनने देंगे? साथ ही, वहीं हालात इसके ठीक परित होते हैं, तो क्या होगा। ऐसे में अदालत के बाहर शांति पूर्वक बातचीत के जरिए वहां मंदिर बनाने के लिए सभी पक्षकारों को मनाया जाए”।