नाम एक, किस्से अनेक, जानिए राम रहीम के जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातें
ऐसा संत जो रौबदार जीवन शैली के लिए जाना जाता था तो कभी फिल्मों में हीरो के किरदार में गाना गाते, एक्शन दिखाते नजर आता था, गुरमीत राम रहीम को चाहने वाले भक्त उसे भगवान की तरह पूजते रहे हैं.
राम रहीम सिर्फ अपने भक्तों के बीच ही नहीं बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी अच्छी खासी पैठ रखता था. गुरमीत राम रहीम की उभार की कहानी में कथित तौर पर हत्याएं, यौन उत्पीड़न, निजी सेना, हथियार और अफीम क अवैध कारोबार और जमीन हड़पने के मामले शामिल हैं. डेरा सच्चा प्रमुख राम रहीम दुष्क्रम के एक मामले में सजा काट रहा है, राम रहीम को जेल में उनके साथी ‘कैदी’ संख्या 1997 के नाम से बुलाते हैं.
23 साल की उम्र में बना डेरा प्रमुख
गुरमीत राम रहीम सिंह इन्सां हरियाणा में स्थित आध्यात्मिक संस्था डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख के तौर पर जाना जाता है. डेरा सच्चा सौदा की स्थापना 1948 में शाह मस्ताना जी द्वारा की गई थी. गुरमीत इस संस्था का तीसरा प्रमुख बना. राम रहीम के डेरा प्रमुख बनने के बाद डेरा का अभूतपूर्व प्रचार प्रसार हुआ और इसी के साथ इसके अनुयायियों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई.
52 वर्षीय राम रहीम का जन्म राजस्थान के श्रीगंगानगर में 15 अगस्त 1967 को हुआ था वो अपने पिता मघर सिंह और माता नसीब कौर के साथ डेरे पर जाया करता था, जो डेरे के दूसरे गद्दीनशीन शाह सतनाम जी के शिष्य थे. लेकिन शाह सतनाम जी ने राम रहीम को 23 साल की उम्र में डेरे की गद्दी सौंप दी. पुराने लोग बताते हैं कि जब बेपरवाह मस्ताना जी ने डेरे की नींव रखी थी, तब यहां सचमुच आध्यात्मिक माहौल हुआ करता था, वो अपने भक्तों को धर्म की सीख देते और सालों तक लगातार ध्यान योग सिखाते रहे, उनके शागिर्द शाह सतनाम जी भी उन्हीं के नक्शे-कदम पर रहे. लेकिन धीरे-धीरे राम रहीम के आने के बाद आध्यात्म की जगह दुनियावी चकाचौंध, महंगी गाड़ियों, कपड़ों, ऐशो आराम की चीज़ों से डेरा भरने लगा, और अब डेरा प्रमुख की करतूत का भांडा ऐसा फूटा है कि उसे सीधे सलाखों के पीछे पहुंच गया.
जब स्कूल से निकाल दिया गया
डेरे के साधक रहे कई लोग बताते हैं कि तीसरे गद्दीनशीं यानी राम रहीम को चुनने के मामले में शाह सतनाम जी से गलती हो गई. राम रहीम शुरू से ही ना सिर्फ रसिया किस्म का लड़का था. बल्कि स्कूल के दिनों से ही लड़कियों को छेड़ना, आस-पास के लोगों को परेशान करना उसकी आदतों में शुमार था. लड़कियों के साथ छेड़खानी की वजह से 9वीं क्लास में गुरमीत को स्कूल से निकाल भी दिया गया था. 10वी में इन्हीं हरकतों के वजह से गुरमीत फेल हो गए और उन्हें कंपार्टमेंट आया था.
राम रहीम ने 5 फिल्मों के निर्माण के साथ दिखाया था एक्शन
राम रहीम का पहला म्यूजिक एल्बम ‘हाइवे लव चार्जर’ नाम से 2014 में आया था. गुरमीत राम रहीम 2015 में फिल्में भी बनाई और उसमें मुख्य किरदार में एक्शन और एक्टिंग करने के साथ खतरनाक स्टंट करते नजर आए. दो साल में राम रहीम ने 5 फिल्में बनाई.लेकिन ये फिल्मे बॉक्स ऑफिस पर को खास कलेक्शन नहीं कर पायी. राम रहीम की ओर से इनके जोरदार कलेक्शन का दावा किया गया था.
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गुमनाम चिठ्टी ने पहुंचाया जेल
हरियाणा के कुरुक्षेत्र इलाके में लगभग 15 साल पहले एक सुबह लोगों को एक गुमनाम चिठ्टी मिलती है. उस चिठ्टी में लिखा था कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम ने अपने डेरे में सैकड़ो साध्वियों के साथ बलात्कार किया है और चिठ्टी लिखने वाली उन साध्वियों में से एक है. चिठ्टी में उस साध्वी ने अपने नाम की जगह बस इतना लिखा था- एक दुखी अबला. और इस गुमनाम चिठ्टी के सहारे बाबा राम रहीम को बलत्कार का दोषी करार देते हुए जेल पहुंचा दिया. मीडिया रिपोर्ट की माने तो चिठ्टी लिखने वाली साध्वी ने लिखा है कि “डेरा के अंदर जब पहली बार एक दूसरी साध्वी ने उसे बताया कि बाबा राम रहीम उसे अपनी गुफा में बुला रहा हैं तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था. उसे लगा कि भगवान खुद उसे बुला रहे हैं.
मगर एक बार गुफा में जाते ही जो रूप उसने बाबा का देखा तो भगवान पर से ही उसका भरोसा उठ गया.” बाबा राम रहीम बलात्कार के मामले में दोषी करारा दिए जाने के बाद भले ही जेल पहुंच गए. मगर राम रहीम के खिलाफ ये इकलौता मामला नहीं है. अभी भी कई ऐसे मामले हैं जिनका फैसला जल्द आने वाला है. बाबा पर कत्ल से लेकर गुमशुदगी और सैकड़ो लोगों को नपुसंक बनाने के कई मामलों की अदालत में सुनवाई चल रही है. तो कुछ मामलों में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है.
पत्रकार रामचंद्र हत्या कांड
पत्रकार रामचंद्र के हत्या का मामला भी पंचकुला की उसी सीबीआई अदालत में चल रहा है, जिसने राम रहीम को दोषी ठहराया था. इस मामले में सीबीआई और बचाव पक्ष दोनों तरफ से गवाहियां पूरी हो चुकी हैं. सीबीआई के मुताबिक रामचंद्र छत्रपति एक ऐसा पत्रकार था, जो अपने ‘अखबार ‘पूरा सच’ में राम रहीम के कच्चे-चिठ्टों का खुलासा किया करता था. मगर 24 अक्टूबर 2002 को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या कर दी गई. सीबीआई का आरोप है कि रामचंद्र से बदला लेने के लिए राम रहीम ने ही उसके हत्या की साजिश रची थी. बाबा राम रहीम के ही दो सेवादार कुलदीप उर्फ काला और निर्मल को उसने शूटर बना कर रामचंद्र के कत्ल का काम सौंपा था. कुलदीप उर्फ काला हत्या करने वाले जगह पर ही पकड़ा गया और बाबा का राज फास हो गया.
रणजीत सिंह हत्या मामला
रणजीत सिंह बाबा राम रहीम के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले दो साध्वियों में से एक का भाई था, जिसकी हत्या इसी रेप केस के सिलसिले में ही की गई. सीबीआई ने इस मामले की भी जांच की और इस मामले से संबंधित लगभग ग्वाहियां पूरी हो चुकी हैं.
नपुंसक बनाने का मामला
बाबा राम रहीम पर लगे आरोपों की जांच सीबीआई बाबा के खिलाफ चार सौ से ज्यादा लोगों को नपुंसक बनाने के मामले की भी जांच कर रही है. पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट खुद इस जांच की निगरानी कर रहा है. फिलहाल सीबीआई के पास इस मामले से जुड़े 166 लोगों की लिस्ट है और सीबीआई ने अदालत में इस सिलसिले में सात रिपोर्ट पेश भी कर चुकी है.
फकीरचंद गुमशुदगी मामला
फकीरचंद गुमशुदगी का मामला हाई कोर्ट में है. बाबा के एक पूर्व साधू फकीरचंद की गुमशुदगी के सिलसिले में 2010 में एफआईआर दर्ज हुई थी. जिस पर आगे चलकर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल हो गई थी. लेकिन हाईकोर्ट के कहने पर अब इस मामले को री-ओपन किया गया है और मामला हाई कोर्ट में है.
20 साल का सश्रम कारावास
गुरमीत राम रहीम सिंह ने डेरा सच्चा सौदा में कई ऐसे कार्य किए जिससे डेरा के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ता गया, और लोग डेरे से जुड़ते गए. साथ ही राम रहीम का विवादों में भी बने रहना जारी रहा. 25 अगस्त 2017 को एक यौन शोषण मामले में अदालत ने राम रहीम को दोषी करार दिया जिसके बाद पूरी दुनिया के सामने राम रहीम की हकीकत की सच्चाई का पता चला. इस मामले में कोर्ट ने राम रहीम को 20 साल के सश्रम कारावास के साथ 65 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया.
डेरा सच्चा सौदा की नींव
किसी जमाने में ये डेरा न सिर्फ हरियाणा, बल्कि पंजाब, राजस्थान, यूपी समेंत देश भर में भक्ति का केंद्र हुआ करता था. डेरा सच्चा सौदा की नींव 70 साल पहले 29 अप्रेल 1948 को संत बेपरवाह मस्ताना जी महराज ने रखी थी. लोग बताते हैं कि वो एक पहुंचे हुए संत थे, तब से लेकर अब तक इस डेरे की ओर से बहुत से समाज सेवा के काम भी किए गए. लेकिन राम रहीम के गद्दी संभालने के साथ धीरे-धीरे इसकी साख जाती रहीं.