शाह को नेहा ने दिखाया था काला झंडा, टिकट काटकर सपा ने पंखुड़ी के आरोपों की तस्दीक की !

विश्वजीत भट्टाचार्य: बीते अगस्त में सपा की युवा छात्र नेता और प्रवक्ताओं में शामिल रहीं पंखुड़ी पाठक ने दमघोटू माहौल का आरोप लगाकर पार्टी छोड़ दी थी. पंखुड़ी का ये आरोप अब एक अन्य नामचीन छात्र नेता नेहा यादव के साथ हुए व्यवहार की वजह से सही लग रहा है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को इलाहाबाद दौरे के वक्त काला झंडा दिखाने वाली यूनिवर्सिटी की छात्रा नेहा यादव ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं. पुलिस ने नेहा को शाह के काफिले के सामने से बाल पकड़कर खींचा था और लाठियों से पीटा था. नेहा के साथ पुलिसिया अत्याचार और उनके जुझारूपन की सपा के नेताओं ने खूब तारीफ भी की थी, लेकिन शायद अब नेहा यादव खुद को ठगा महसूस कर रही होंगी. इसकी बड़ी वजह एक प्रेस विज्ञप्ति है. जिसने समाजवादी पार्टी के लिए नेहा की ओर से किए गए अब तक के सारे आंदोलन पर पानी फेर दिया है.

नेहा के आंदोलन की कोई कीमत नहीं !

अमित शाह को काला झंडा दिखाकर पुलिस के हाथों उत्पीड़न का शिकार हुईं नेहा यादव इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में सपा का नामचीन चेहरा बन गईं. लग रहा था कि इस चर्चित चेहरे को सपा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के चुनाव में उतारकर यहां फिर से साइकिल चलाएगी, लेकिन मंगलवार को एक प्रेस नोट ने नेहा यादव की सारी उम्मीदें खत्म कर दीं. ये प्रेस नोट इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में उतरने वाले सपा उम्मीदवारों के नाम की थी.

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समाजवादी छात्र सभा के प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह देव की ओर से जारी प्रेस नोट में छात्रसंघ अध्यक्ष पद के लिए उदय प्रकाश यादव, उपाध्यक्ष पद के लिए मुनेश कुमार सरोज, सांस्कृतिक मंत्री पद के लिए शकील अहमद और उप मंत्री पद के लिए सत्यम सिंह सैनी को उम्मीदवार बनाने का एलान किया गया. नेहा जैसी जुझारू छात्र नेता को सपा ने आखिर चारों में से किसी पद के लायक क्यों नहीं समझा, इसे लेकर लोग हैरत में हैं.

कौन हैं नेहा यादव ?

सपा छात्र सभा की नेता नेहा यादव अभी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से फूड टेक्नोलॉजी विषय में पीएचडी कर रही हैं. एक साल के भीतर ही कई आंदोलन से नेहा की पहचान बनी और अमित शाह को काला झंडा दिखाने के बाद वो यूपी के हर जिले में पहचानी जाने लगी थीं. अमित शाह को काला झंडा दिखाने के बाद सपा ने नेहा का खूब सम्मान भी किया था.

पंखुड़ी पाठक ने सपा नेतृत्व पर लगाए थे गंभीर आरोप

बता दें कि बीते अगस्त में सपा की मीडिया पैनलिस्ट की सूची में नाम न आने पर पंखुड़ी पाठक ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. इससे पहले पंखुड़ी सपा की प्रवक्ता रह चुकी थीं. पंखुड़ी ने ट्वीट में लिखा था, ‘8 साल पहले विचारधारा और युवा नेतृत्व से प्रभावित होकर मैं इस पार्टी से जुड़ी थी, लेकिन आज न वो विचारधारा दिखती है और न ही वो नेतृत्व. जिस तरह की राजनीति चल रही है. उसमें अब दम घुटता है. कभी जाति और कभी धर्म तो कभी लिंग को लेकर जिस तरह की अभद्र टिप्पणियां की जाती हैं, पर पार्टी नेतृत्व सबकुछ जानकर भी शांत रहता है.’

मुलायम की नसीहत का भी मोल नहीं

अखिलेश यादव भले ही पिता मुलायम सिंह का नाम हमेशा लेते हों और मुलायम भी भाई शिवपाल के मुकाबले बेटे को तरजीह दे रहे हों, लेकिन नेहा के साथ जो हुआ उससे साफ है कि सपा में मुलायम की पूछ खत्म हो गई है. यह इससे साबित होता है कि बीते रविवार को ही साइकिल रैली के समापन पर मुलायम ने नसीहत दी थी कि पार्टी में लड़कियों को शामिल करना चाहिए, लेकिन दो दिन भी नहीं बीते थे कि नेहा यादव को सपा भूल गई.

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