प्रतिबंधित संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से जुड़े लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने बुधवार को छापेमारी की है। एजेंसी ने PFI के ऊपर यह कार्रवाई देशभर में उसके ठिकानों पर की है। छापेमारी दिल्ली-एनसीआर, महाराष्ट्र, यूपी, राजस्थान, तमिलनाडु आदि स्थानों पर चल रही है। बता दें कि PFI को पिछले साल आतंकवाद विरोधी गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम (UAPA) के तहत बैन कर दिया गया था।
सूत्रों के मुताबिक, यह छापेमारी एजेंसी के केस नंबर 31/2022 में की गई है, जो पीएफआई और उसके नेताओं और कैडरों की हिंसक और गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्तता से संबंधित है। सभी आरोपी पटना के फुलवारीशरीफ इलाके में हिंसक और गैरकानूनी गतिविधियों के उद्देश्य से इकट्ठे हुए थे।
हालांकि, एनआईए के अधिकारी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं और ज्यादा कुछ बोलने से इनकार किया। मामला शुरू में 12 जुलाई, 2022 को फुलवारीशरीफ पुलिस स्टेशन में एफआईआर के रूप में दर्ज किया गया था। इसके बाद एजेंसी ने मामले को फिर से पिछले साल 22 जुलाई को दर्ज किया था।
साल 2006 में मनिथा नीति पसाराई और नेशनल डेवलपमेंट फंड नामक संगठन ने मिलकर पॉपुलर फ्रंट इंडिया का गठन किया था। ये संगठन शुरुआत में दक्षिण भारत के राज्यों में ही सक्रिय था, लेकिन अब UP-बिहार समेत 23 राज्यों में फैल चुका है।
बता दें कि पीएफआई के खिलाफ इतने बड़े लेवल पर उस वक्त छापेमारी की जा रही है, जब देश के पांच राज्यों, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव की घोषणा की जा चुकी है। जांच एजेंसी को शक है कि ये प्रतिबंधित संगठन इन राज्यों के चुनाव में खलल डाल सकता है। बता दें कि संगठन की पहुंच अल्पसंख्यक समाज में बड़े स्तर पर है, और अपने फायदे के लिए ये संगठन चुनाव परिणाम को बदलने की कोशिश करा सकता है।