नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर यानी एनपीआर को लेकर फैली एक बड़ी अफवाह पर विराम लगाया। संसद में सरकार की तरफ से दिए गए लिखित जवाब में कहा गया कि एनपीआर को अपडेट करने के दौरान किसी तरह के कागज देना जरूरी नहीं है, ितं ही नहीं आधार कार्ड का नंबर भी देना वैकल्पिक होगा। इसकी भी कोई अनिवार्यता नहीं है, सारी जानकारी स्वेच्छिक आधार पर ली जाएगी।
गौरतलब है कि नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर इस वर्ष अप्रैल से शुरू होकर सितम्बर माह तक घर घर सर्वे के जरिये अपडेट किया जाना है। एनपीआर के तहत सरकारी अमला घर घर जाकर जानकारी लेंगे, यह प्रक्रिया जनगणना से अलग होती है जिसका उद्देश्य आर्थिक और सामाजिक डाटा बेस तैयार करना होता है। एनपीआर को लेकर शुरू होने जा रही प्रक्रिया को लेकर कई राज्य सरकारों की तरफ से कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे थे, हालांकि अब केंद्र सरकार का कहना है कि वह राज्य सरकारों से भी बात करके संशय ख़त्म करेगी।
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने सरकार से एनपीआर को लेकर सवाल पूछा था। इस सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने अपने जवाब में बताया कि NPR के अपडेशन के दौरान किसी भी कागजात की जरूरत नहीं है. साथ ही इस दौरान ऐसा कोई सत्यापन नहीं किया जाएगा, जिससे किसी की नागरिकता पर सवाल खड़े हों.
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बता दें कि नागरिकता क़ानून में संशोधन के तुरंत बाद भारत सरकार ने नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर को अपडेट करने का निर्णय लिया था। ]1 अप्रैल, 2020 से एनपीआर अपडेट की प्रक्रिया शुरू होगी, जो कि जनगणना का पहला चरण है। NPR की प्रक्रिया के दौरान हर घर से जानकारी ली जाएगी, जिसमें सभी को सही जानकारी सरकार को देनी होगी. अब सरकार के जवाब के बाद साफ हो गया है कि निर्धारित प्रश्नों के मौखिक जवाब किसी भी व्यक्ति को देने हैं। ना तो कोई कागज़ लगाना है और ना ही आधार कार्ड नंबर देने की कोई बाध्यता है।
मंगलवार को ही लोकसभा में एक अन्य प्रश्न के जवाब में गृह मंत्रालय यह भी साफ कर चुका है कि NRC यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजनशिप को पूरे देश में लागू करने की अभी कोई योजना नहीं है। उल्लेखनीय है कि संभावित एनसीआर और एनपीआर पर उपजे संदेह को लेकर देश भर में आंदोलन जारी है।