विश्वजीत भट्टाचार्य: राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर यानी एनआरसी को लेकर असम में नए संकट के आसार हैं. ये संकट सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद आया है, जिसमें अदालत ने नागरिकता साबित करने वाले 15 में से 5 दस्तावेजों को अमान्य कर दिया है. अगर 23 अक्टूबर को अगली सुनवाई के वक्त इन दस्तावेजों को दोबारा मान्य न किया गया, तो एनआरसी के दूसरे और अंतिम मसौदे में शामिल लोगों में से लाखों की नागरिकता का दावा भी खतरे में पड़ सकता है.
कोर्ट ने इन दस्तावेजों को कर दिया अमान्य
दरअसल, असम में एनआरसी को-ऑर्डिनेटर प्रतीक हेजला ने बीते दिनों सीलबंद लिफाफे में एक रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी. जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद 15 में से 5 दस्तावेजों को अमान्य कर दिया. कोर्ट ने जिन दस्तावेजों को अमान्य किया है, वे हैं-
1-1951 में बने एनआरसी रजिस्टर में नाम
2-24 मार्च 1971 तक बनी वोटर लिस्ट में नाम
3-नागरिकता सर्टिफिकेट या रिफ्यूज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट
4-खास तौर पर त्रिपुरा के 1971 से पहले की वोटर लिस्ट में नाम
5-राशन कार्ड
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इन 5 दस्तावेजों को नागरिकता का सबूत मानने से इनकार किए जाने के पीछे कोर्ट का कहना है कि इन्हें तो कोई भी पुरानी तारीख से यानी भ्रष्टाचार करके भी बना सकता है. कोर्ट ने एनआरसी को-ऑर्डिनेटर हजेला से जानना चाहा है कि क्या अमान्य दस्तावेजों में से किसी को या सभी को नागरिकता का सबूत माना जा सकता है ? अगर हजेला ने 23 अक्टूबर को कोर्ट में इन दस्तावेजों को अमान्य रखने की ही बात कही, तो 40 लाख के अलावा पहले लिस्ट में आ चुके और भी लाखों लोगों की नागरिकता संकट में फंस सकती है.
किन दस्तावेजों से अब साबित होगी नागरिकता ?
सुप्रीम कोर्ट ने 25 सितंबर से 60 दिन तक एनआरसी में शामिल न किए जाने वाले 40 लाख लोगों के दावे और आपत्तियां लेने का आदेश दिया है. अब इन लोगों को इन 10 दस्तावेजों के जरिए ही अपने दावे करने होंगे-
1-24 मार्च 1971 तक बने जमीन के रिकॉर्ड
2-असम के बाहर से 24 मार्च 1971 तक जारी स्थायी निवास सर्टिफिकेट
3-24 मार्च 1971 तक जारी पासपोर्ट
4-24 मार्च 1971 तक ली गई एलआईसी की पॉलिसी
5-24 मार्च 1971 तक सरकार की ओर से जारी कोई लाइसेंस या सर्टिफिकेट
6-24 मार्च 1971 तक सरकारी नौकरी का दस्तावेज
7-24 मार्च 1971 तक बैंक या पोस्ट ऑफिस में खाता
8-24 मार्च 1971 तक जारी जन्म प्रमाणपत्र
9-24 मार्च 1971 तक जारी बोर्ड या यूनिवर्सिटी से जारी शैक्षिक सर्टिफिकेट
10-24 मार्च 1971 तक का अदालत से जुड़ा दस्तावेज
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पहले चुने गए लोगों को क्यों हो सकती है मुश्किल ?
एनआरसी का दूसरा और अंतिम मसौदा इसी साल 30 जुलाई को आया था। इसमें 3.29 करोड़ में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम थे, जबकि 40 लाख 70 हजार 707 लोगों के नाम नहीं थे, इन 40 लाख से ज्यादा लोगों में से 37 लाख 59 हजार 630 लोगों के दावे नामंजूर कर दिए गए थे, जबकि, 2 लाख 48 हजार 77 लोगों के नाम आपत्तियों के लिए लंबित रखे गए थे. जिन 2.89 करोड़ लोगों के नाम अंतिम मसौदे में थे, उनमें से लाखों ने अमान्य किए गए 5 दस्तावेजों में से कोई देकर लिस्ट में एनआरसी लिस्ट में जगह बनाई थी. अगर सुप्रीम कोर्ट इन दस्तावेजों को आगे भी अमान्य रखता है, तो एनआरसी में शामिल किए गए 2.89 करोड़ लोगों में से लाखों को नागरिकता से बाहर होना पड़ सकता है.