बागपत: ‘‘मां के रहते जीवन में कोई गम नहीं होता, दुनिया साथ दे न दे, पर मां का प्यार कभी कम नहीं होता।’’ यह लाइन लहचौड़ा गांव रामभरोसे की पत्नी पुष्पा देवी ने चरितार्थ कर दी है। जब चिकित्सकों ने उसके लाड़ले बेटे की किडनी खराब बताई तो परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा और 50 से 60 लाख रपए का खर्च बताया गया। माँ की आँखों से आंसुओं का सैलाब निकल रहा था। दूसरे अस्पताल पहुंचे तो चिकित्सकों ने जब कहा कि कोई भी घर का सदस्य उसे किडनी दे सकता है तो सबसे पहले पुष्पा देवी ने हां की और अपने बेटे को किडनी देकर नया जीवन दिया। हालांकि अभी भी बेटे का इलाज चल रहा है, लेकिन मां की ममता व उनके निर्णय की हर कोई प्रशंसा कर रहा है।
लहचौड़ा निवासी 34 वर्षीय अखिलेश पुत्र रामभरोसे को बुखार आया था। जसके बाद उसके शरीर पर सूजन रहने लगी जिससे वह और अधिक कमजोर होने लगा। परिजनों ने उसे रटौल ही नहीं बल्कि जनपद के अधिकांश चिकित्सकों के यहा दिखाया, लेकिन उसे कोई फायदा नहीं हुआ। बाद में परिजन उसे दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में लेकर गए। चिकित्सकों ने वहां अखिलेश की तबियत अधिक खराब होने पर भर्ती कर लिया। चिकित्सकों ने उसके पूरे शरीर की जांच कराई तो उसकी किडनी खराब मिली। चिकित्सकों ने इस बात को परिजनों को बताया तो उनकी आंखों से आंसू निकलने लगे। उन्होंने चिकित्सकों से इलाज में कमी नहीं रहने की बात कही। उसके बाद अखिलेश का इलाज चलता रहा और जांच हुई तो दूसरी किडनी भी खराब मिली।
चिकित्सकों ने जब इस बात को परिजनों को बताया तो उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई और परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। आँखों से आंसुओं का सैलाब निकलना शुरू हो गया है। चिकित्सकों से उसके इलाज के लिए पता किया गया तो 50 से 60 लाख रपए खर्च बताए गए। लेकिन एक मध्यम किसान परिवार के पास इतने रपए नहीं थे और वह मायूस हो गया। अखिलेश की मां पुष्पा देवी दिन रात बेटे के लिए रोती रहती थीं। केवल एक रिश्तेदार ने उन्हें बताया कि दूसरे एक बड़े अस्पताल में इलाज की बात हो सकती है। अखिलेश को लेकर वह वहां पहुंचे तो चिकित्सकों ने कहा कि परिवार का कोई भी सदस्य अपनी किडनी दे सकता है। जैसे ही जानकारों ने इस बात को कहा तो पुष्पा देवी ने तुरंत अपनी किडनी देने के लिए कह दिया।
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जिसके बाद डाक्टरों ने पुष्पा देवी की किडनी अखिलेश को दी और एक नया जीवन दिया। हालांकि अभी भी अखिलेश का इलाज चल रहा है और सप्ताह में दो बार वह डायलेसिस कराता है। पुष्पा देवी ने बताया कि उसके बेटे की महीने में करीब बीस हजार रपए की दवाईयां अभी भी आती हैं। पुष्पा देवी ने बताया कि उसके तीन पौते-पौती हैं। एक पौत्र है और दो पौत्री है। वह हमेशा परिवार को लेकर चिंतित रहती है। पुष्पा देवी ने बताया कि जब चिकित्सकों ने कहा कि उसकी किडनी से उसके बेटे की जान बच सकती है तो उसे जरा भी इल्म नहीं हुआ। क्योंकि जीवन बच्चों के लिए ही तो है। बच्चों के बिना तो जिंदगी भी अधूरी है। वहीं दूसरी ओर पुष्पा देवी के इस हौसले को गांव ही नहीं बल्कि आसपास के लोग भी प्रशंसा करते हैं। पुष्पा देवी ने भी जता दिया है कि माँ है तो सब कुछ है। माँ का प्यार कभी कम नहीं हो सकता है।