वेणुगोपाल के यूटर्न पर पी चिदंबरम का हमला, कहा ‘लगता है चोर ने दस्तावेज लौटा दिए’

नई दिल्ली: राफेल सौदे को लेकर पिछले कई दिनों से जारी घमासान के बीच एक नया ट्विस्ट आया है. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राफेल डील से जुड़े दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी हो गए हैं. लेकिन शुक्रवार को अपने बयान से पलटते हुए वेणुगोपाल ने कहा कि राफेल के दस्तावेज चोरी नहीं हुए हैं, बल्कि उसकी फोटोकॉपी की गई है. उनके इस ताजे दावे को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि चोर ने दस्तावेज लौटा दिए.

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘सरकार ने बुधवार को कहा कि दस्तावेज चोरी हो गए. शुक्रवार को कहा कि दस्तावेजों की फोटोकॉपी चोरी हुई है. मुझे लगता कि बीच में बृहस्पतिवार को चोर ने दस्तावेज लौटा दिए.’ उन्होंने तंज कसते हुए कहा, ‘मैं सरकार की समझ को सलाम करता हूं.’

पी चिंदबरम ने तीन ट्वीट किए जिसमें उन्होंने लिखा, खुशी है कि CII ने आवाज़ उठाई और रोजगार पर सरकार के झूठे दावों का पर्दाफाश किया. उम्मीद है बाकी भी बोलेंगे. ज्यादा बुरा क्या है? रोजगार के अवसर नहीं पैदा करना या इसके बारे में झूठ बोलना. एनडीए सरकार दोनों की दोषी है. चुनाव के तीन महत्वपूर्ण मुद्दे होंगे- नौकरी, नौकरी और नौकरी.

बता दें, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में राफेल सुनवाई के दौरान इस बात का दावा किया था कि राफेल से संबंधित दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी नहीं हुए हैं. कोर्ट में दाखिल किए अपने जवाब में उनका मतलब था कि याचिकाकर्ताओं ने ‘वास्तविक कागजातों की प्रति’ का इस्तेमाल किया. लेकिन अब वेणुगोपाल ने पीटीआई से कहा कि मुझे बताया गया कि विपक्ष आरोप लगा रहा है कि मैंने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी हो गए हैं. यह पूरी तरह गलत है. यह कहना कि दस्तावेज चोरी हो गए थे पूरी तरह गलत है.

वेणुगोपाल के बयान से पलटने के बाद विपक्ष हमलावर हो गया है. जिसके बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने केके वेणुगोपाल का बचाव किया. सीतारमण ने ट्वीट कर कहा- “अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बताया कि दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी नहीं हुए और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में यह बताया कि याचिकाकर्ता ने अपने आवेदन में जिसका इस्तेमाल किया वह मूल प्रति की फोटोकॉपी थी, जिसे सरकार गोपनीय दस्तावेज मानती है।”

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