पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु के मामले की हो सकती है सीबीआई जांच

पचास साल पहले संदिग्ध हालात में मृत मिले थे जनसंघ अध्यक्ष, जीआरपी थाने में मामले की एफआईआर और केस डायरी भी नहीं बची. अब उस वक़्त तैनात रहे पुलिस कर्मियों की तलाश शुरू

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फोटो साभारः Google

इलाहाबादः जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पचास साल पहले संदिग्ध हालात में हुई मृत्यु की नए सिरे से छानबीन शुरू हुई है. आईजी रेलवे बीआर मीणा ने मुगलसराय (नया नाम दीनदायल उपाध्याय जंक्शन) जीआरपी से इस घटना के संबंध में रिपोर्ट मांगी है, हालांकि जांच की शुरुआत ही मुश्किल है क्योंकि इस मामले की एफआईआर व केस डायरी थाने से गायब बताई जा रही है, लिहाजा उस वक्त तैनात रहे पुलिसकर्मियों को खोजने के निर्देश दिए गए हैं.

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11 फरवरी 1968 को पुराने मुगलसराय स्टेशन पर रेल पटरी के किनारे दीनदयाल उपाध्याय मृत मिले थे. समय-समय पर यह मुद्दा उठता रहा है कि कि उनकी मौत के कारणों की तब सही ढंग से जांच नहीं हो सकी थी. दैनिक हिन्दुस्तान में छपी खबर के मुताबिक़ शासन स्तर पर इस घटना की सीबीआई जांच की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. मुश्किल यह कि इतने पुराने केस की जीआरपी के पास कोई दस्तावेजी जानकारी नहीं है. इसका भी कोई रिकार्ड नहीं है कि उस समय क्या जांच हुई थी, किसने की थी, उसमें क्या निकला.

उस वक़्त तैनात रहे पुलिस वालों को खोज रहे हैं: आईजी

हिन्दुस्तान से बातचीत में आईजी मीणा ने कहा कि शासन के निर्देश पर केस की जांच शुरू कराई गई है. मुगलसराय जीआरपी से रिपोर्ट मिलने पर इसे शासन को भेजा जाएगा. मुगलसराय में उस समय तैनात रहे पुलिसकर्मियों की तलाश करवाई जा रही है. उनसे ही जानकारी मिल सकेगी कि क्या घटना थी, उस समय इस केस की कोई जांच हुई भी थी या नहीं. शुरुआती जांच में आया है कि इस केस की एफआईआर और केस डायरी जीआरपी थाने से गायब है.इसीलिए नए सिरे से तथ्य जुटाने में मुश्किलें आ रही हैं. जीआरपी के तत्कालीन थाना इंचार्ज, विवेचक, अन्य एसआई और पुलिसकर्मियों के बारे में पता लगाकर पूछताछ कराई जाएगी. केस बहुत पुराना है, लेकिन उस समय के कुछ पुलिसकर्मी जरूर मिलेंगे.

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