नोएडाः भारत में कई कंपनियों ने कर्मचारियों की छटनीं शुरू कर दी है। ऐसे में अभी कुछ दिन पहले ही अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) ने श्रम मंत्री संतोष गंगवार को पत्र लिखकर लॉकडाउन के दौरान उद्योगों को कर्मचारियों की छंटनी करने से रोकने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया था। पत्र में कहा गया कि कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन की पृष्ठभूमि में इस तरह की छंटनी एक तरह का अन्याय है।
बता दें इससे पहले खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी निजी व सरकारी कंपनियों से आग्रह कर चुके हैं कि वे कर्मचारियों का वेतन ना काटें और ना ही उन्हें नौकरी से निकलें लेकिन इसके बावजूद कुछ एक कंपनियां अपने कर्मचारियों के साथ अन्याय करने से बाज नहीं आ रहीं हैं। इसमें नोएडा की जानी मानी निजी कंपनी क्लोविया( Clovia) जिसके सीईओ पंकज वर्मानी हैं का नाम सामने आया है जिसने पहले तो अपने कर्मचारियों की मार्च महीने की सैलरी आधे से ज्यादा काट ली बल्कि गुप्त सूत्रों से पता चला है कि इस कंपनी ने कर्मचारियों की छंटनी भी शुरू कर दी है।
ऐसे में सैलरी ना आने की वजह से कंपनी के कर्मचारियों का भविष्य और उनका जीवनयापन काफी संकट में पड़ सकता है। नाम ना छापने की शर्त पर कंपनी के एक कर्मचारी ने यह बताया कि पहले तो मैनेजमेंट ने प्राकृतिक आपदा के नाम पर सभी लोगों के वेतन कटौती मंजूर कराया जिससे कि वह हर कर्मचारियों को इस आपदा के समय कुछ न्यूनतम भुगतान हर महीने कर सकें किंतु सैलेरी डिडक्शन देने के 10 दिन के अंदर उन्होंने फिर से कर्मचारियों पर स्वयं त्यागपत्र देने का मानसिक दबाव बनाना शुरू कर दिया है। ऐसे में कर्मचारी अब स्थानीय प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि इस समस्या की सुध ली जाए।
कंपनी के मैनेजमेंट से इस बारे पर सवाल पूछने के बाद हमें उनकी तरफ से अभी इस पर कोई भी कमेंट नहीं आया कर्मचारियों के अनुसार मैनेजमेंट में से कोई भी इस समय कर्मचारियों के बीच बात करने के लिए नहीं आ रहा है।
पत्र में यह भी कहा गया कि इस तरह के आदेश राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी सलाह के विपरीत हैं। एआईटीयूसी ने कहा है कि ऐसा करने वाली कंपनियों ने न सिर्फ सलाह को नजरअंदाज किया है, बल्कि कानून का भी उल्लंघन है। वहीं, श्रम और रोजगार मंत्रालय के सचिव हीरालाल समरिया ने इस बाबत सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजा है। लेबर सेक्रेटरी हीरालाल सामरिया ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को जारी पत्र में कहा है कि कोरोना वायरस से पैदा संकट के बीच कर्मचारियों की सहूलियतों का ध्यान रखना जरूरी है। सभी पब्लिक और प्राइवेट कंपनियों को सुझाव दिया जाता है कि वे इस दौरान किसी भी कर्मचारी की छंटनी नहीं करेंगे और न ही उनका पैसा काटेंगे। अगर कोई कर्मचारी छुट्टी लेता है तो भी वह ड्यूटी पर माना जाएगा। नियमित और संविदा दोनों तरह के स्टाफ की सेवा सुरक्षा का ख्याल रखा जाए।
लेबर सेक्रेटरी ने कहा है कि इस विपरीत परिस्थिति में अगर किसी कर्मचारी को टर्मिनेट किया जाता है तो इससे स्थिति और खराब होगी। लेबर सेक्रेटरी ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों से अपने राज्य में स्थित निजी और सार्वजनिक कंपनियों को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी करने को कहा है। ऐसे में अब ये देखना होगा कि बड़ी संख्या में कई निजी कंपनियों द्वारा निकाले जा रहे कर्मचारियों के लिए सरकार व प्रशासन क्या कुछ फैसले लेती है और इन कंपनियों के खिलाफ किसी तरह से और कैसे कार्यवाही करती है।