संसद की सुरक्षा में 13 दिसंबर को की गई सेंधमारी की जांच कर ही दिल्ली पुलिस ने मास्टरमाइंड ललित झा से पूछताछ की। आरोपी ललित झा ने पूछताछ के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे किए है। कथित सेंधमारी के पीछे के मास्टरमाइंडों में से एक माने जाने वाले झा ने व्हाट्सएप के जरिए घटना से संबंधित एक आपत्तिजनक वीडियो साझा करने की बात कबूल की है।
सूत्रों के अनुसार पेशे से शिक्षक और बिहार के बेनीपुर के निवासी ललित झा ने न केवल वीडियो शेयर किया, बल्कि सक्रिय रूप से इसे आगे फैलाने को प्रोत्साहित किया। वीडियो के प्राप्त करने वाले की पहचान कोलकाता में सौरव चक्रवर्ती के रूप में की गई है। उन्होंने चक्रवर्ती से कथित तौर पर झा ने फुटेज को व्यापक रूप से प्रसारित करने का आग्रह किया था।
सूत्रों का कहना है कि पुलिस ने आरोपी झा की व्हाट्सएप चैट और सौरव को भेजा गया वीडियो भी बरामद कर लिया है, जैसा कि पूछताछ के दौरान उसने बताया था। उसने वीडियो को अन्य लोगों के साथ भी साझा किया था। हाई प्रोफाइल मामले की जांच कर रही स्पेशल सेल ने राजस्थान के नागौर इलाके से मोबाइल फोन के हिस्से बरामद किए हैं, जहां संसद की सुरक्षा में सेंधमारी के मामले के कथित साजिशकर्ता ललित ने पहले मोबाइल को तोड़ा और फिर जला दिया था।
जांच से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि सबूत जुटाने के लिए झा को राजस्थान ले जाया गया और टूटे हुए फोन बरामद किए हैं। झा ने 13 दिसंबर को अपनी योजना को अंजाम देने से ठीक पहले चार अन्य आरोपियों के मोबाइल फोन ले लिए थे और वहां से भाग निकला था। दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में कथित मास्टरमाइंड ललित झा को शुक्रवार को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेजने के बाद छठे आरोपी महेश कुमावत को भी शनिवार को एक सप्ताह के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया।
गुरुवार को उसी अदालत ने चार आरोपियों सागर शर्मा, मनोरंजन डी, नीलम आज़ाद और अमोल शिंदे को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था। इन चारों को बुधवार को संसद परिसर से गिरफ्तार किया गया था। झा की निशानदेही पर जले हुए फोन की बरामदगी के बाद पुलिस ने पहले से दर्ज एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 201 (सबूत नष्ट करना/साक्ष्य गायब करना) जोड़ने का फैसला किया है।
पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में झा के खिलाफ दर्ज मामले में धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 452 (अतिक्रमण), 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 186 (लोक सेवकों को सार्वजनिक कार्यों में बाधा डालना), आईपीसी की धारा 353 (लोक सेवकों को ड्यूटी से रोकने के लिए हमला ) के साथ ही यूएपीए की धारा 16 और 18 शामिल हैं।