नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दो नए चुनाव आयुक्तों सुखबीर सिंह संधू और ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए केंद्र सरकार को राहत प्रदान की है। अदालत ने कहा कि हम चुनाव आयुक्ति की नियुक्ति पर रोक नहीं लगा सकते, लोकसभा चुनाव से पहले ऐसा करने से अव्यवस्था की स्थिति बन सकती है। हालांकि अदालत ने अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सरकार से 6 हफ्ते में जवाब मांगा है।
केंद्र सरकार ने एक दिन पहले 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था। सरकार ने कहा था कि जब सिलेक्शन कमेटी में कोई ज्यूडिशियल मेंबर जुड़े, तभी संवैधानिक संस्था स्वतंत्र होगी, यह दलील गलत है। इलेक्शन कमीशन एक स्वतंत्र संस्था है। जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार से 6 हफ्ते में जवाब मांगा है। पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे इस तथ्य को इंगित करते हुए एक अलग आवेदन दायर करें, जिन्होंने बताया कि चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए एक बैठक पहले से आयोजित की गई थी। अदालत ने इसी पर केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है।
कांग्रेस नेत्री जया ठाकुर और एनजीओ एशियन डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की गई है। गौरतलब है कि 14 फरवरी को अनूप चंद्र पांडे की सेवानिवृत्ति और अरुण गोयल के अचानक इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग में दो रिक्तियां उत्पन्न हुई थीं। एनजीओ ने वैधता को चुनौती दी है और मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023 की धारा 7 के संचालन पर रोक लगाने की मांग की है, जो सीजेआई को सीईसी और ईसी को चुनने वाले पैनल से बाहर करती है।