नई दिल्ली: 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टियां अपनी-अपनी रणनीतियां तैयार कर रही हैं. भारतीय जनता पार्टी की कार्यकारिणी बैठक में प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जमकर कांग्रेस पर हल्ला बोला और 2019 में फिर सरकार बनाने का दावा किया है.
इसी बीच खबर आई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी लोकसभा चुनाव वराणासी की सीट छोड़ वडोदरा से लड़ सकते हैं. इसलिए वडोदरा की सीट को उनके लिए महफूज रखी जा रही है. पार्टी के किसी नेता ने जनसत्ता को बयान देते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री वड़ोदरा से लड़ेंगे और जीतेंगे भी. हालांकि अभी पार्टी द्वारा इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नही की गई है. लेकिन इस खबर के बाद से कई तरह की अटकलें लगाई जाने लगी हैं.
सवाल उठने लगा है 2014 में वाराणसी और वडोदरा दो सीटों से चुनाव लड़ने और जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से सांसद रहने का फैसला किया था. ऐसे में अगली बार वाराणसी छोड़ वडोदरा से चुनाव लड़ने के फैसले ने नरेंद्र मोदी पर कई सियासी सवाल खड़े कर दिए हैं.
क्या ये हैं वाराणसी छोड़कर वडोदरा से लोकसभा चुनाव लड़ने की वजहें..
दरअसल इसी साल मार्च में उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों गोरखपुर और फूलपुर पर उपचुनाव हुए थे. जिन पर पहले भाजपा के दो दिग्गज नेता योगी आदित्यनाथ औऱ केशव प्रसाद मौर्या जीते थे. लेकिन योगी के मुख्यमंत्री और केशव प्रसाद मौर्या के उप मुख्यमंत्री बनने से खाली हुई इन सीटों पर दोबारा चुनाव हुआ तो दोनों ही भाजपा के हाथ से निकल गई.
सपा और बसपा के गठबंधन के दांव से इन दोनों सीटों पर भाजपा की हार न केवल उत्तर प्रदेश भाजपा के लिए बल्कि दिल्ली में बैठी भाजपा हाईकमान के लिए भी चौंका देने वाली थी. गोरखपुर वो लोकसभा सीट थी जिस पर 1991 से भाजपा का दबदबा था. वहीं गोरखपुर लोकसभा सीट से खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 1998 से लेकर 2017 तक सांसद रहे थे. उत्तर प्रदेश की उपचुनाव में हुई करारी हार भी एक कारण हो सकती है जिसने प्रधानमंत्री मोदी को अपना संसदीय क्षेत्र बदलने पर मजबूर किया हो. चुंकि उससे उत्तर प्रदेश में एंटी इंकम्बेंसी का अनुमान लगाया जा सकता है.
प्रधानमंत्री द्वारा वाराणसी को फिर से लोकसभा क्षेत्र न चुनने को लेकर एक और वजह हो सकती है. ये वजह खुद वाराणसी है, दरअसल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी को जापान का प्रसिद्ध और खूबसूरत शहर क्योटों जैसा बना देने का वादा किया था. जिस पर करोड़ों खर्चे गए लेकिन वहां कुछ खास सुधार देखने को नही मिला है. वाराणसी का गंगा सफाई का अभियान भी कछुए की चाल चल रहा है. जिस पर सीएजी की रिपोर्ट ने भी सरकार को फटकार लगाई थी.
हालांकि मोदी के वाराणासी लोकसभा सीट जीतने की अनिश्चिचतता को भाजपा नेताओं ने सिरे से खारिज किया है.