भोपाल, राजसत्ता एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासी घमासान मचा हुआ है। दोनों दलों के नेता पोस्टर वार से बाज नहीं आ रहे। बीते दिनों भोपाल से सांसद प्रज्ञा ठाकुर के लापता होने का पोस्टर जगह-जगह देखने को मिला था। इसके बात ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी लापता घोषित कर दिया गया। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ भी अब लापता हो गए हैं। दोनों पिता-पुत्र के लापता होने का पोस्टर हाल ही में सामने आया था। जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में राज्य में होने वाले उपचुनाव को लेकर ही ये पोस्टर वार चल रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके सांसद पुत्र नकुलनाथ के लापता होने के पोस्टर उनके विधानसभा और संसदीय क्षेत्र छिंदवाडा में लगाए गए थे। पोस्टर लगने के एक सप्ताह बाद कमलनाथ और नकुलनाथ छिंदवाड़ा पहुंचे और अपने लोगों में हाजिरी दर्ज की। दोनों जन प्रतिनिधियों का कांग्रेस नेताओं ने जमकर स्वागत किया इस दौरान कोरोना संकट और आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा की शिवराज सरकार पर जमकर निशाना साधा।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के पोस्टर ग्वालियर में लगाए गए थे। पोस्टर लगाने वाले कांग्रेस कार्यकर्ता सिद्धार्थ सिंह राजावत ने घोषणा की थी कि जो भी ज्योतिरादित्य को खोजकर लाएगा उसे 5100 रूपए नगद ईनाम दिया जाएगा। वहीं, कमलनाथ और नकुलनाथ के पोस्टर पर 21000 रूपए के नगद ईनाम देने की बात लिखी गई थी।
छिंदवाड़ा से हुई शुरुआत
मध्यप्रदेश में जारी सियासी पोस्टर वार की शुरुआत छिंदवाड़ा से हुई जहां पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके सांसद पुत्र नकुलनाथ के लापता होने के पोस्टर लगाए गए थे। छिंदवाड़ा में अपने नेता के लापता वाले पोस्टर से बौखलाई कांग्रेस ने ग्वालियर में ज्योतिरादित्य सिंधिया के जयविलास पैलेस और उसके आसपास के इलाकों में ‘गुमशुदा जनसेवक’ नाम से सिंधिया के पोस्टर लगा दिए हैं। पोस्टर में यह भी छपवाया गया कि सिंधिया का पता बताने वाले को 5100 रुपये का नगद इनाम दिया जाएगा।
बौखलाई भाजपा ने राजावत के खिलाफ दर्ज कराई FIR
सिंधिया समर्थकों ने कांग्रेस के सिद्धार्थ राजावत के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष रामेश्वर शर्मा ने कहा कि सिंधिया को गुमशुदा बताने वाले ये नहीं जानते कि वे लगातार ग्वालियर-चंबल संभाग पर नजर बनाये हुए हैं। रामेश्वर शर्मा ने कहा कि सिंधिया ने सिर्फ ग्वालियर-चंबल संभाग ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के ज्यादातर जनप्रतिनिधियों से फोन पर लगातार संपर्क बनाया हुआ है।