देहरादून: सोमवार का दिन उत्तराखंड कांग्रेसजनों के लिए कुछ राहत लेकर आया। अब तक अपनी ढपली-अपना राग अलापने वाले कांग्रेस नेताओं ने एक-दूसरे के सुर में सुर मिलाने की पहल की है। सब कुछ इसी तरह आगे बढ़ा तो आने वाले दिनों में कांग्रेस के भीतर चल रहे झगड़े कम हो सकते हैं। समान मुद्दों पर भी अपने-अपने रास्ते चलने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के बीच सोमवार को कड़वाहट कुछ कम नजर आयी। अब यह लोकसभा चुनाव के संभावित परिणाम का भय है या फिर आगे के लिए साथ चलने की एक पहल, यह तो भविष्य बताएगा।
अब तक हरीश रावत के कार्यक्रमों से दूरी बनाने वाले प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह जब रावत के कार्यक्रम में पहुंचे तो शायद हरीश समर्थकों को इसकी उम्मीद नहीं रही होगी। प्रीतम सिंह जब गांधी पार्क में पहुंचे तो उपवास खत्म हो चुका था और रावत मीडिया के साथ वार्ता कर रहे थे। बहरहाल उनके आने पर रावत ने गर्मजोशी दिखायी और उन्हें अपने बगल में बिठाया। प्रीतम ने कार्यक्रम की जानकारी नहीं होने की बात कह कर तल्खियां दूर करने की कोशिश की। अब बारी थी हरीश रावत की। रावत अपने समर्थकों के साथ प्रीतम के द्वारा घोषित कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए कांग्रेस भवन पहुंचे। प्रीतम ने राजीव गांधी पर मोदी की टिप्पणियों के लिए पुतला दहन कार्यक्रम रखा हुआ था।
यूपी के पूर्व डीजीपी ने सिख दंगों के लिए राजीव गांधी को ठहराया जिम्मेदार
कांग्रेस के लोग कांग्रेस भवन में प्रदेश अध्यक्ष का इंतजार कर रहे थे, लेकिन अप्रत्याशित रूप से समर्थकों के साथ हरीश रावत भी पहुंच गये। उत्साहित समर्थकों ने रावत के समर्थन में नारेबाजी भी की, लेकिन दूसरा पक्ष शांत रहा। इसके बाद हरीश, प्रीतम व किशोर सभी के साथ पुतला दहन करने पहुंचे। कार्यक्रम के बाद प्रीतम वापस अपने कार्यालय में बैठ गये तो थोड़ी देर में हरीश फिर से कांग्रेस भवन में पहुंच कर अध्यक्ष के साथ बैठ गये। बहरहाल आज दोनों नेताओं ने अपनी ओर से जिस तरह का उत्साह दिखाया, उसमें प्रीतम डाल-डाल तो हरदा पात-पात दिखे। कांग्रेसजन भी दोनों नेताओं के बीच घटती दूरी के रूप में आज के क्रियाकलाप को देखने लगे हैं।